नई दिल्ली: गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को आसुमल हरपलानी उर्फ आसाराम बापू को अस्थायी जमानत देने से इनकार कर दिया, उन्होंने इस आधार पर रिहाई की मांग की थी कि वह 84 वर्ष के हैं और जेल में कोविड -19 से संक्रमित होने के लिए अतिसंवेदनशील हैं.
राजस्थान के जोधपुर की एक जेल में बंद आसाराम को नाबालिग से यौन शोषण के मामले में दोषी ठहराया गया था. उनपर गांधीनगर अदालत में एक बलात्कार मामले में भी मुकदमा चल रहा है, हालांकि उन्होंने विभिन्न आधारों पर चार महीने के लिए अस्थायी जमानत की मांग की थी.
आसाराम को जमानत देने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया ने कहा, ‘वर्तमान आवेदन में आवेदक ने एक विशिष्ट बात बताई है कि दुनियाभर में और भारत में उसके कई अनुयायी हैं. उक्त प्रक्थन (बात) को देखते हुए, कोविड 2019 की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर आवेदक को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं होगा. क्योंकि, इस बात की प्रबल संभावना है कि आवेदक की रिहाई पर, उसके हजारों अनुयायी उससे मिलने के लिए एकत्रित होंगे, जो स्थिति को और खराब करेगा.’
आसाराम के वकीलों ने समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए दावा किया कि राजस्थान की जेलों में उनके संक्रमित होने की बहुत संभावना है. उन्होंने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से न्यायिक हिरासत में हैं और वह विभिन्न बीमारियों से भी पीड़ित हैं.
‘अधिवक्ताओं ने इस दौरान अदालत से यह भी कहा कि उनका मुवक्किल 84 का वर्ष का है और उनकी जानकारी के अनुसार जोधपुर की जेल में कई कैदी कोरोनावायरस से भी प्रभावित हैं. इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि आवेदक भी इससे प्रभावित हों.’ कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया.
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‘ मार्च में जमानत के लिए समान कारण का हवाला दिया गया था ’
सरकारी वकील ने इस दौरान इस बात पर ध्यान दिलाया कि आसाराम मार्च में भी समान कारण का हवाला देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
अदालत ने उनकी पहली अर्जी 30 मार्च को खारिज कर दी थी.
अदालत ने 30 मार्च को उनके पहले के आवेदन को खारिज कर दिया था, यह ध्यान रखते हुए कि वह ‘बहुत गंभीर अपराधों’ में शामिल रहे हैं और कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए कैदियों की निश्चित श्रेणी और अस्थायी रिहाई को देखते हुए बनाई गई हाईपावर कमिटी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में उसका मामला और नाम शामिल नहीं था.
हालांकि, इस समिति ने उन अंडरट्रायल कैदियों को रिहा करने की सिफारिश की थी जिन पर सात साल तक की कैद के साथ दंडनीय अपराध का आरोप थे. आसाराम को अधिकतम सजा और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि राजस्थान में जेल प्रशासन कैदियों के बीच कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त सावधानी बरत रहा है.
सरकार की प्रस्तुतियां स्वीकार करते हुए, अदालत ने आसाराम की रिहाई के आवेदन को यह देखते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई नया आधार नहीं दिया गया है.
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