मुंबई, 30 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की कथित मुठभेड़ में मौत को लेकर पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर बुधवार को अपराध शाखा के विशेष जांच दल (एसआईटी) को आड़े हाथ लिया और कहा कि यह ‘‘बहुत खेदजनक स्थिति’’ है।
उच्च न्यायालय द्वारा सख्त टिप्पणी किए जाने के बाद कि वह अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए बाध्य होगा, लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को आश्वासन दिया कि शनिवार (तीन मई) तक एसआईटी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर ली जाएगी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने वेनेगांवकर के आश्वासन को स्वीकार कर लिया।
गत सात अप्रैल को उच्च न्यायालय ने अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त लखमी गौतम को शिंदे की मौत की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने और उन पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था, जिन्हें एक मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में शिंदे की मौत के लिए अभ्यारोपित किया गया था।
पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय ने मामले के कागजात एसआईटी को नहीं सौंपने के लिए राज्य आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की कड़ी आलोचना की थी। मामले की जांच शुरुआत में सीआईडी कर रही थी। इसके बाद सीआईडी ने 25 अप्रैल को सभी कागजात एसआईटी को सौंप दिए।
बुधवार को जब उच्च न्यायालय ने सवाल किया कि क्या प्राथमिकी दर्ज की गई है, तो लोक अभियोजक वेनेगांवकर ने ना में जवाब दिया। जवाब से नाराज पीठ ने कहा कि जब कोई संज्ञेय अपराध बनता है, तो पुलिस को अपना दिमाग लगाना चाहिए था और प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए।
अदालत ने सवाल किया, ‘‘पुलिस पर एक जिम्मेदारी है। व्यवस्था में लोगों का भरोसा कम न होने दें। एक शव सामने है। यह अस्वभाविक मौत है। प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आप और क्या खुलासा चाहते हैं?’’
पीठ ने कहा कि उसके आदेश का अनुपालन न किए जाने की स्थिति में वह अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए बाध्य होगी।
पीठ ने एसआईटी से कहा कि वह कुछ ‘प्रतिबद्धता’ दिखाए और मामले को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाए। पीठ ने कहा, ‘‘यह इस अदालत के निर्देशों की सरासर अवहेलना है। हम संतुष्ट नहीं हैं। यह बहुत ही खेदजनक स्थिति है। अब हम अवमानना का आदेश जारी करने के लिए बाध्य हैं।’’
ठाणे जिले के बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी शिंदे (24) की 23 सितंबर, 2024 को पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में गोली लगने से मौत हो गयी थी। यह घटना उस समय हुई थी जब शिंदे को तलोजा जेल से कल्याण ले जाया जा रहा था।
आरोपी को साथ लेकर जा रही पुलिस टीम ने दावा किया था कि आरोपी ने पुलिस वैन में मौजूद एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीनकर गोली चलाई थी, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी।
हालांकि, आरोपी शिंदे के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि उसे फर्जी मुठभेड़ में मारा गया और स्वतंत्र जांच का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। मजिस्ट्रेट द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में पांच पुलिसकर्मियों को अभ्यारोपित किया गया, जिसमें कहा गया कि इस दावे में दम है कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी।
भाषा अमित अविनाश
अविनाश
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