(दीप्ति सक्सेना)
देहरादून, 26 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में कोरोना महामारी के साथ भारी बर्फबारी और कड़ाके की ठंड ने चुनाव प्रचार की रफ्तार बिल्कुल धीमी कर दी है।
कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर चुनाव आयोग ने 31 जनवरी तक राजनीतिक रैलियों पर पहले ही रोक लगा दी थी और अब पिछले हफ्ते शुरू हुई भारी बर्फबारी और बारिश ने चुनाव प्रचार अभियान की रफ्तार थाम ली है।
अधिकतम 10 लोगों के साथ घर—घर जाकर मतदाताओं से संपर्क और बड़े हॉल में 50 फीसदी की क्षमता के साथ बैठकों तक सिमट गए चुनाव प्रचार अभियान में मौसम का बिगड़ा मिजाज प्रत्याशियों के लिए दुश्वारियां पैदा कर रहा है। भारी हिमपात के कारण प्रदेश के बहुत से गांव सीधे संपर्क से कट गए हैं, जहां पहुंच पाना उम्मीदवारों के लिए ‘दुरुह’ साबित हो रहा है।
बदरीनाथ से मौजूदा विधायक और भाजपा प्रत्याशी महेंद्र भट्ट ने ‘पीटीआई—भाषा’ से कहा कि बारिश और हिमपात के कारण पिछले कई दिन से वह छाता लेकर और गमबूट पहनकर गांव—गांव में लोगों से संपर्क कर रहे हैं ।
उन्होंने बताया कि मौसम की वजह से कई क्षेत्रों में आने—जाने में समय अधिक लग रहा है। इस संबंध में जोशीमठ ब्लॉक के दुरमी गांव का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां पहुंचने में सामान्यत: एक घंटा लगता है, लेकिन खराब मौसम के चलते उन्हें वहां पहुंचने में दो घंटे से भी ज्यादा का समय लग गया ।
उत्तराखंड में 70 में से करीब दो दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिनके अनेक क्षेत्र सर्दियों में बर्फ की चपेट में रहते हैं। इनमें प्रमुख रूप से केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, मसूरी, धारचूला, चकराता, पुरोला, नैनीताल और धनोल्टी शामिल हैं ।
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र का 35—40 फीसदी हिस्सा बर्फवारी से प्रभावित रहता है और इस बार तो यहां रिकार्ड बर्फबारी हुई है। यहां दोबारा विधानसभा में पहुंचने का प्रयास कर रहे कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक मनोज रावत ने माना कि इस बार हमेशा के मुकाबले मौसम ज्यादा खराब है और लगातार बर्फ पड़ रही है।
उन्होंने बताया कि फिलहाल बर्फ से ढके मचकंडी, अकोडी और बडच ग्रामसभाओं तक पहुंचने में उन्हें सामान्य के मुकाबले दोगुना समय लगा। रावत स्वयं बडच गांव के निवासी हैं।
रावत ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े सभागारों की अनुपलब्धता और किसी भी घर में 10 से ज्यादा लोगों के बैठने की सुविधा न होने के चलते चुनाव प्रचार में खासी परेशानी हो रही है और वर्तमान परिस्थितियों में पूरे विधानसभा क्षेत्र तक पहुंच बनाने के लिए कम से कम एक महीना चाहिए।
पिछले कुछ दिनों में हुई भारी बर्फबारी के कारण रास्ते भी बंद हो गए, जिसके कारण कुछ विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों को मतदाताओं तक पहुंचने के लिए 100—200 किलोमीटर तक अतिरिक्त रास्ता भी तय करना पड़ेगा ।
धनोल्टी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह बिष्ट ने बताया कि बर्फवारी के कारण उनके विधानसभा क्षेत्र के 362 गांवों में से 70 गांव सीधे संपर्क से कट गए हैं और उन्हें वहां तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड रहा है ।
इस संबंध में उन्होंने बताया कि फिलहाल वह घर—घर जाकर संपर्क अभियान चला रहे हैं और सघन आबादी वाले क्षेत्रों में 150 परिवारों, जबकि दूर-दूर बसी आबादी वाले क्षेत्रों में प्रतिदिन 100 परिवारों तक ही पहुंच बना पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर मौसम की यही स्थिति जारी रही तो 21,000 परिवारों तक पहुंचने में उन्हें करीब तीन माह का समय लग जाएगा ।
पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री और डीडीहाट से भाजपा प्रत्याशी बिशन सिंह चुफाल ने बताया कि बर्फबारी के बीच बुधवार को उन्होंने मनपापो और मनडा ग्रामसभाओं में घर—घर जाकर लोगों से अपने लिए वोट मांगे।
हालांकि, चुफाल ने कहा कि बर्फवारी अड़चन तो है, लेकिन मतदाताओं तक पहुंचने में वह हर बाधा को पार करेंगे।
उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने कहा कि खराब मौसम के कारण चुनाव प्रक्रिया पर अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है। चुनावकर्मी दल मतदान केंद्रों तक एक दिन पहले ही जाते हैं और मतदान केंद्र वगैरह भी एक दिन पहले ही तैयार किये जाते हैं।
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