नई दिल्ली: जुलाई 2010 में, कश्मीर के सरकारी डिग्री कॉलेज में बैचलर ऑफ आर्ट्स के तीसरे वर्ष का छात्र जावेद अहमद मट्टू, सोपोर के मोहल्ला खुशालमटू में अपने घर से लापता हो गया.
कुछ महीने बाद जब वह फिर सामने आया तो वह घाटी में हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा किए गए ग्रेनेड हमले का आरोपी था.
सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 2010 और 2012 के बीच, मट्टू – जिसे कथित तौर पर कमांडर कयूम नज़र द्वारा एक ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में हिजबुल मुजाहिदीन के रैंक में शामिल किया गया था – तेजी से कमांडर के रैंक तक पहुंच गया और कई ग्रेनेड हमलों सहित इस दौरान सुरक्षा बल हमलों को अंजाम दिया.
हालांकि, 2012 में, 6 जनवरी को सोपोर में दो पुलिस सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) पर एक कथित हमले के दौरान, उसे गोली लगी और चोटें आईं, जिसके बाद वो निष्क्रिय हो गया और पीछे हट गया.
सूत्रों ने कहा कि हालांकि मट्टू का नाम जनवरी 2012 के बाद किसी भी घटना में सामने नहीं आया, क्योंकि वह भूमिगत रहते हुए लो प्रोफ़ाइल रखता था, वह ए++ श्रेणी के आतंकवादी के रूप में “मोस्ट वांटेड सूची” में बना रहा. वर्गीकरण ‘ए++’ का उपयोग उस आतंकवादी को संदर्भित करने के लिए किया जाता है जो सुरक्षा बलों की “मोस्ट वांटेड लिस्ट” में है.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने गुरुवार को मट्टू को दिल्ली-नोएडा डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे से गिरफ्तार कर लिया, जिससे सुरक्षा बलों की 13 साल की तलाश पूरी हो गई.
पुलिस ने कहा कि मट्टू को चोरी के वाहन में डीएनडी पर यात्रा करते हुए पाया गया और गिरफ्तारी के समय उसके पास से एक पिस्तौल बरामद की गई.
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‘सोपोर घटना के बाद पीओके में घुसपैठ’
1984 में जन्मे मट्टू एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं और उन्होंने अपनी दसवीं कक्षा गवर्नमेंट हाई स्कूल सोपोर से पूरी की. सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि इसके बाद उसने सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सोपोर से बारहवीं कक्षा पूरी की और बीए के लिए सरकारी डिग्री कॉलेज में प्रवेश लिया.
मट्टू पर एक पुलिस डोजियर में उल्लेख किया गया है कि 2012 के बाद, मट्टू को “पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में निर्वासित कर दिया गया” और “अल-बद्र के रैंक में शामिल हो गया” जो कश्मीर क्षेत्र में सक्रिय एक इस्लामी आतंकवादी समूह है. दिप्रिंट ने ये पुलिस दस्तावेजों में देखा है.
सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र के अनुसार, मट्टू “मोस्ट वांटेड सूची” में सबसे उम्रदराज़ जीवित आतंकवादी है.
सूत्र ने कहा, “हिज़बुल के अधिकांश कमांडर जो 2010 और 2011 में सक्रिय थे, या तो मुठभेड़ों में मारे गए हैं या पीछे धकेल दिए गए हैं. लेकिन वह 6 जनवरी 2012 की घटना के बाद से शांत पड़ा हुआ था, जहां वह घायल हो गया था और उसके बाद कभी वापस नहीं आया. ”
दिप्रिंट से बात करते हुए कश्मीर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोपोर की घटना को याद किया जिसमें मट्टू के घायल होने की बात कही गई थी.
अधिकारी ने कहा, “6 जनवरी 2012 को, मट्टू ने सोपोर में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक इम्तियाज हुसैन को एस्कॉर्ट कर रहे दो पीएसओ पर सोपोर में हमला किया. पीएसओ को बुरी तरह मारा गया और उन्हें गंभीर चोटें आईं. उस हमले में, जवाबी गोलीबारी में मट्टू को भी गंभीर गोली लगी, हालांकि वह भागने में सफल रहा था.”
अधिकारी ने कहा, “हम जानते हैं कि वह किडनी की बीमारी से भी पीड़ित था और उसका इलाज चल रहा था और फिर वह अल-बद्र में शामिल होने के लिए पीओके चला गया.”
पुलिस के अनुसार, मट्टू पर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा घोषित 10 लाख रुपये का इनाम था और वह कम से कम 11 आतंकी कृत्यों में शामिल था.
जिन मामलों में वह मुख्य संदिग्ध है उनमें – 2010 में सोपोर में पांच ग्रेनेड हमले जिनमें दर्जनों पुलिस कर्मी घायल हो गए. उसी वर्ष, उन पर पांच पुलिस कर्मियों और एक जम्मू-कश्मीर पुलिस सीआईडी कांस्टेबल की हत्या में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया था.
2010 और 2012 के बीच, दो केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) जवानों, एक अन्य पुलिस कर्मी की हत्या, एक पुलिस स्टेशन के बाहर एक आईईडी विस्फोट और सोपोर में एक बीएसएनएल कार्यालय के बाहर एक ग्रेनेड हमले में भी मट्टू की भूमिका संदिग्ध है.
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