नई दिल्ली: आज़ादी का अमृत महोत्सव लॉन्च होने के करीब डेढ़ साल बाद अरुण गोयल सुर्खियों में हैं, जिनके बारे में बताया जाता है कि अमृत महोत्सव की परिकल्पना के पीछे दरअसल इन्हीं का दिमाग था. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, मई 2018 से दिसंबर 2019 के बीच संस्कृति मंत्रालय में बतौर सचिव अपनी सेवाएं देने के दौरान गोयल ने इसमें अहम भूमिका निभाई. उन्होंने ने इस हाई-प्रोफाइल परियोजना की परिकल्पना की, इस पर शुरुआती योजना बनाई और फिर आगे बढ़ाया.
संस्कृति मंत्रालय के तहत विभिन्न समितियों के कई वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि गोयल ‘भारत और इसकी प्राचीन परंपराओं के बारे में बहुत गहरी समझ’ रखते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी निकटता से जुड़े इन सदस्यों की नजर में गोयल एक ‘मैन ऑफ बिजनेस’ हैं, जो अपनी बात ‘पुरजोर तरीके से’ रखना जानते हैं.
इनमें से कई सदस्यों को 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अरुण गोयल के चुनाव आयुक्त बनने पर कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है, जिनकी छवि एक ‘कैलकुलेटिव टास्कमास्ट’ की रही है.
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के तीन दिन बाद गोयल ने 21 नवंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ निर्वाचन आयोग में बतौर चुनाव आयुक्त अपना कार्यभार संभाला था. गोयल फरवरी 2025 में सीईसी राजीव कुमार के इस पद से हटने के बाद उनकी जगह लेने की कतार में हैं.
लेकिन उनकी नियुक्ति फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के निशाने पर आ गई है. शीर्ष अदालत ने गुरुवार को इस नियुक्ति पर अपने फैसले पर आगे बढ़ने में ‘जल्दबाजी’ करने को लेकर मोदी सरकार को फिर आड़े हाथ लिया.
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‘परियोजना के लिए टाइमलाइन तय की’
नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव, कार्यकारी एवं शैक्षणिक प्रमुख सच्चिदानंद जोशी ने दिप्रिंट के साथ बातचीत के दौरान सेवानिवृत्त सिविल सेवक गोयल की कार्यशैली के बारे में बताया.
जोशी, जो संघ से संबद्ध भारतीय शिक्षण मंडल के भी अध्यक्ष हैं, कहते हैं, ‘गोयल उन अफसरों में हैं जिन्हें काम पूरा कराने से मतलब होता है. वह किसी परियोजना के लिए समयसीमा तय करने में विश्वास करते हैं न कि लालफीताशाही को बढ़ावा देने में. वह दृढ़ता चाहते हैं. वह एक ऐसे अधिकारी भी हैं जो भारत और हमारी परंपराओं और संस्कृति को अच्छी तरह समझते हैं. उन्होंने आज़ादी का अमृत महोत्सव की परिकल्पना की और शुरुआती चरण में इस पर आइडिया देने में भी काफी योगदान दिया.’
केंद्र में 2011 से 2022 के बीच गोयल भारी उद्योग, संस्कृति, शहरी विकास, वित्त, श्रम और रोजगार सहित विभिन्न मंत्रालयों में काम कर चुके हैं. भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव के रूप में तैनात होने से पहले गोयल संस्कृति मंत्रालय में काम कर चुके हैं.
संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि महोत्सव के तहत गुमनाम नायकों को सामने लाने का आइडिया गोयल का ही था.
पंजाब में गोयल कांग्रेस और अकाली दल दोनों सरकारों के अधीन काम कर चुके हैं. उनके साथ काम करने वाले एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने बताया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में शहरी विकास मंत्रालय में तैनाती के दौरान गोयल और तत्कालीन शहरी विकास मंत्री कमलनाथ के बीच कुछ मतभेद थे.
उन्होंने बताया, ‘गोयल ने कुछ प्रस्तावों पर आपत्ति जताई थी जो कि किताब में नहीं थे. उनके खिलाफ एक राजनीतिक लॉबी सक्रिय थी. इसलिए उन्हें बाहर पोस्टिंग दी गई. 2014 में जब नई सरकार सत्ता में आई, तो उसने इसे एक ईमारदारी अधिकारी के साथ यूपीए-2 सरकार के गलत व्यवहार के तौर पर देखा. हालांकि, उन्हें नई सरकार में भी कुछ मुद्दों का सामना करना पड़ा.
सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा, ‘संस्कृति मंत्रालय में उनके विचारों को खास तौर पर नोटिस किया गया’, और इस मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान गोयल ने अपनी खास पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की.
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(अनुवाद: रावी द्विवेदी)
(संपादन: इन्द्रजीत)
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