नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से पहले अब दिल्ली में राम दरबार सजाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. भगवान राम की नगरी अयोध्या की आध्यात्मिक और सांस्कृति विरासत से देश ही नहीं विदेशियों को जोड़ने के लिए इंदिरा गांधी कला केंद्र में आयोजन होने जा रहा है. इस आयोजन को अयोध्या पर्व नाम दिया गया है. तीन दिन चलने वाले इस भव्य कार्यक्रम में संघ के बड़े नेताओं के अलावा हाल ही में गठित हुए श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित उत्तरप्रदेश के कई बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे.
अयोध्या पर्व का शुभारंभ महंत नृत्यगोपाल दास, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी आरएसएस के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय भी मौजूद रहेंगे.
दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 28 फरवरी से 1 मार्च तक अयोध्या पर्व आयोजित होगा. इस पर्व के माध्मय से लोगों को अयोध्या की भव्यता, दिव्यता और महत्व से लोगों को परिचित करवाया जाएगा. इस पर्व में देशवासियों को अयोध्या और भगवान राम से जुड़ी वो जानकारियां दी जाएगीं जिससे लोग परिचित नहीं है.
अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह की अगुवाई में मनाए जाने वाले इस पर्व में न सिर्फ भगवान राम बल्कि राम राज्य के सभी पहलुओं को लोगों के सामने पेश किया जाएगा परिचित करवाया जाएगा. इसके अलावा अयोध्या से और उसके आसपास की पुरानी परंपराओं और अवध की संस्कृति, खान-पान के बारे में भी लोगों को अवगत करवाया जाएगा.
राम से परिचय होगा अयोध्या पर्व में
आयोजक व सांसद लल्लू सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘पिछले वर्ष भी अयोध्या पर्व का आयोजन किया गया था. लेकिन इस बार अयोध्या राम मंदिर पर निर्णय आने के बाद इस कार्यक्रम को लेकर लोगों में उत्साह का माहौल है. इस कार्यक्रम के जरिए अयोध्या की लोकसंस्कृति, परंपरा व आध्यात्म पर केंद्रीत होगा.’
लल्लू सिंह ने कहा,’ इस कार्यक्रम में हम आयोध्या की भावी संकल्पना पर विचार करेंगे. वहीं आयोध्या के बड़े स्वरूप को भी प्रस्तुत किया जाएगा.
दिप्रिंट से बातचीत में लल्लू सिंह ने कहा,’ विचार गोष्ठियों के जरिये भगवान राम के अलग पहलुओं के बारे में लोगो को बताएंगे. इसके लिए हमने सभी देशों के राजदूतों को भी न्यौता दिया है.
‘ महात्मा गांधी के भगवान राम के बारे में क्या विचार हैं जैसे विषयों पर विशेषज्ञ अपने विचार पेश करेंगे.
वह आगे कहते हैं, ‘अयोध्या के आसपास के ऐतिहासिक स्थल, पौराणिक मान्यता व ऋषि मुनियों की स्थलों के कई महत्व है, जो साधारण आदमी नहीं जानता जिनको हम लोगों ने बताने का पूरा प्रयास किया है जो भी इस पर्व में आएगा वह राम से जुड़ कर ही जाएगा. वह भगवान राम से जुड़ी इन जगह को जान और समझ पाएगा.’
आयोजक लल्लू सिंह कहते है,’ राम मंदिर के फैसले से आज पूरे समाज मे उत्साह है. इस कार्यक्रम के माध्यम से हम लोगों को श्रीराम की संस्कृति से जोड़ना चाहते है. इस तरह के कार्यक्रम हम आगे भी करेंगे ताकि लोग जुड़ें, मंदिर निर्माण का कार्य अपने स्तर पर हो रहा है. हम अपने स्तर पर लोगों को जोड़ने का काम कर रहे हैं. रामायणकालीन स्थलों को भी दिखाने का काम करेंगे.’
अयोध्या पर्व के बारे में उन्होंने दिप्रिंट को बताया, 5 संस्थान मिलकर इस कार्यकम का आयोजन कर रही है. लेकिन इस बात जोर दिया कि सभी समाज के लोग मिलकर इस आयोजन का खर्चा उठा रहे हैं.’
अयोध्या पर्व के कार्यक्रम में अयोध्या के पौराणिक 84 कोसी परिक्रम क्षेत्र और आसपास की गुमनाम धरोहार स्थलों की प्रदर्शनी भी लाएगी जाएगी. इनके माध्यम से दिल्ली में स्थित विदेशों के दूतावासों और उनके प्रतिनिधियों के जरिए उन्हें यह बता सके कि आयोध्या की भूमि, सांस्कृतिक धरोहर और संस्कृति की दृष्टि से बहुत ही महत्वपर्ण है.वह इस पर शोध भी किया जा सकता है.इसके अलावा इस दौरान विचार गोष्ठी व आयोध्या के आसपास की लोक परंपरा से जुड़े कार्यक्रम भी होंगे.
अयोध्या के प्रति आकर्षण को बढ़ाना
दिल्ली में इस कार्यक्रम के सवाल के जवाब में कार्यक्रम के आयोजन का काम संभाल रहे सदस्यों ने दिप्रिंट से कहा, श्रीराम मंदिर पर कोर्ट के फैसले और श्रीराम मंदिर के ट्रस्ट की घोषणा के बाद अयोध्या पर्व बहुत ही खास हो गया है. इस पर्व के जरिए देश और दुनिया के लोगों को त्रेता काल की अयोध्या और उसकी आध्यात्मिक—सांस्कृतिक की ख्याति से रुबरु करवाना है.
उन्होंने कहा कि अयोध्या की आध्यात्मिक सांस्कृतिक का विस्तार चौरासी कोस क्षेत्र तक माना जाता है. इस चौरासी कोस की परिधि में कई ऋषियों व मुनियों की तपस्थली रही है. आध्यात्मिक रूप से ये स्थान काफी संपन्न है. वैसे तो आम लोगों को भगवान राम और अयोध्या विवाद के बारे में जानकारी है, लेकिन राम की जिंदगी सिर्फ रावण पर विजय और 14 वर्ष वनवास के अलावा भी बहुत कुछ रही है.
एक सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद रामनवमी से पहले भगवान राम और अयोध्या मंदिर के निर्माण से लोगों को जोड़ना है. इस आयोध्या पर्व के कार्यक्रम के जरिए अवध क्षेत्र के सांस्कृति और पौराणिक महत्व के साथ साथ पर्यटन को बढ़ाना है.
वैसे तो अयोध्या का यह पर्व पूरी तरह से सामाजिक संगठनों की तरफ से आयोजित किया जा रहा है. लेकिन इसके संरक्षक महंत नृत्यगोपाल दास है. इससे यह साफ है कि इस आयोजन कि पीछे कही न कही साधु संत और सरकार भी पूरी तरह से सक्रिय है.