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Monday, 4 November, 2024
होमदेशअयोध्या मंदिर विवाद के मुद्दई अंसारी, शिया वक़्फ बोर्ड के प्रमुख ने मंजूर किया राम मंदिर भूमि पूजन का न्यौता

अयोध्या मंदिर विवाद के मुद्दई अंसारी, शिया वक़्फ बोर्ड के प्रमुख ने मंजूर किया राम मंदिर भूमि पूजन का न्यौता

इक़बाल अंसारी और वसीम रिज़वी उन तीन मुसलमान नेताओं में से हैं, जिन्हें समारोह में आमंत्रित किया गया है. तीसरे, ज़फ़र फारूक़ी ने अभी फैसला नहीं किया है.

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नई दिल्ली: तीन में से दो मुस्लिम नेता, जिनके नाम राम मंदिर भूमि पूजन समारोह की निमंत्रण सूची में हैं- अयोध्या भूमि विवाद के मुक़दमेबाज़ इक़बाल अंसारी, और यूपी शिया वक़्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी- ने कहा है कि वो निमंत्रण स्वीकार करेंगे, और 5 अगस्त को भव्य समारोह में शिरकत करेंगे.

लेकिन, सूची में तीसरा नाम, यूपी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष ज़फ़र फ़ारूक़ी ने कहा है, कि वो निमंत्रण मिलने के बाद ही फैसला करेंगे, कि शिरकत करेंगे या नहीं.

जैसा कि दिप्रिंट ने ख़बर दी थी, अंसारी, रिज़वी और फारूक़ी आमंत्रित लोगों की सूची में तीन मुस्लिम नाम हैं, जिसे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने समारोह के लिए तैयार किया है. समारोह में हिस्सा लेने वाले दूसरे संभावित बड़े नामों में शामिल हैं, पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेता एलके आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी, जो 1980 व 1990 के दशकों में राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख नेता थे.

‘विरोध का कोई मतलब नहीं’

अंसारी, मौहम्मद हाशिम अंसारी के बेटे हैं, जो राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक़ से जुड़े मुक़दमे के शुरूआती वादियों में से एक थे, और जिनकी 2016 में मौत हो गई थी. पिता की मौत के बाद उनका ये ज़िम्मा इक़बाल अंसारी ने ले लिया, लेकिन पिछले साल नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने, विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाए जाने के पक्ष में फैसला सुना दिया.

अंसारी ने दिप्रिंट से कहा ‘अगर न्यौता मिलता है, तो मैं उसे स्वीकार करूंगा’. उन्होंने ये भी कहा, ये एक धार्मिक हिंदू समारोह है और इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं होगी, इसलिए मैं जाकर निमंत्रण नहीं मागूंगा. लेकिन अगर मिलता है तो मैं जाउंगा’.

अयोध्या निवासी अंसारी ने कहा, कि उन्हें राम मंदिर निर्माण का विरोध करने का, कोई मतलब नज़र नहीं आता.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमने 70 साल से ज़्यादा लड़ाई की, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कर दिया, कि मंदिर बनना चाहिए तो फिर हम कुछ नहीं कर सकते. मैं अयोध्या में रहता हूं, इसलिए मैं यहां सुकून से ज़िंदगी गुज़ारना चाहूंगा.’


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‘सपना सच हो गया’

इस बीच शिया वक़्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी, जो राम मंदिर आंदोलन के समर्थक रहे हैं, ने कहा है कि मंदिर के भूमि पूजन समारोह का हिस्सा बनकर वो ‘सम्मानित” होंगे.

रिज़वी ने दिप्रिंट से कहा, ‘वहां रहने से मेरा सपना सच हो जाएगा. मैं वहां भगवान राम के भक्तों के साथ खड़े होकर, इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनना चाहता हूं.

रिज़वी ने पिछले नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत किया था, और उसे ‘सबसे अच्छा फैसला’ बताया था. उन्होंने ये भी कहा था कि वो राम मंदिर निर्माण के लिए, 51,000 रुपए दान देंगे.

रिज़वी ने आगे कहा,’मैं राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में बोलता रहा हूं. इसलिए मेरे लिए ये एक बड़ा दिन होगा’.

‘अभी मन नहीं बनाया’

लेकिन, यूपी सुन्नी वक़्फ बोर्ड के अध्यक्ष ज़फ़र फ़ारूक़ी ने कहा है कि उन्हें अभी अपना मन नहीं बनाया है.

फारूक़ी ने कहा, ‘मेरी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए डॉक्टरों ने मुझे बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है. लेकिन, मुझे अभी न्योता नहीं मिला है. इसलिए मैं आख़िरी फैसला तभी कर पाउंगा’.

यूपी सुन्नी वक़्फ बोर्ड अयोध्या टाइटिल विवाद केस में एक प्रमुख वादी पक्ष था, और उसने सुप्रीम कोर्ट फैसले के खिलाफ, पुनर्विचार याचिका दायर करने से इनकार कर दिया था.


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‘अन्यायपूर्ण, अनुचित, लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते’

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सचिव, ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा, ‘निजी लोग समारोह में शिरकत के लिए आज़ाद हैं’.

एआईएमपीएलबी ने फैसले के लिए खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था.

जिलानी ने कहा: ‘कोई भी शिरकत कर सकता है अगर वो चाहे. हमने हमेशा यही कहा है कि हम फैसले से ख़ुश नहीं हैं, लेकिन हमने उसे मंज़ूर किया, क्योंकि वो अदालत का फैसला था.’

लेकिन, जिलानी ने कहा कि अगर उन्हें न्योता मिलता है, तो वो उसे मंज़ूर नहीं करेंगे. उन्होंने कहा: ‘ मैं ऐसे समारोह में शरीक नहीं हूंगा, क्योंकि मुझे लगता है ये सारी चीज़ अन्यायपूर्ण व अनुचित है, और देश की धर्मनिर्पेक्षता के खिलाफ है. लेकिन चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाज़त दे दी है, इसलिए हम अब इस बारे में कुछ कर नहीं सकते.’

सीनियर वकील ने ये भी कहा कि एआईएमपीएलबी 5 अगस्त को कोई विरोध नहीं करेगी, लेकिन भी ये तय नहीं किया गया है, कि क्या वो कोई बयान जारी करेगी, जिसमें अफसोस का इज़हार करते हुए, उस बाबरी मस्जिद को याद किया जाएगा जो उस जगह थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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