नई दिल्ली: अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई कर रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 18 अक्टूबर तक बहस खत्म होने का अनुमान लगाया है. उन्होंने बुधवार 18 सितंबर को सुनवाई के दौरान अयोध्या मंदिर विवाद की चली आ रही सुनवाई की समयसीमा 18 अक्टूबर तय कर दी है. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही है.
हिंदू धर्म के लोग और मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग काफी समय से इस भूमि पर दावा कर रहे हैं. 1992 में हिंदू कट्टरपंथियों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था.
यही नहीं सीजेआई ने यह भी कहा कि अब मध्यस्थता की कोशिशों के लिए मामले की सुनवाई को रोका नहीं जाएगा. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के साथ ही समानांतर रूप से मध्यस्थता की कोशिशें जारी रखी जा सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मध्यस्थता पैनल, मध्यस्थता की कार्यवाही जारी रखना चाहता है तो वह अदालत की सुनवाई के साथ-साथ समयसीमा को भी बढ़ा सकता है.
रंजन गोगोई ने यह भी कहा कि सुनवाई के लिए अगर जरूरी होगा तो मामले की सुनवाई शनिवार को भी की जाएगी, साथ ही इसकी सुनवाई को प्रतिदिन एक घंटे अधिक दिया जा सकता है. बता दें कि जैसा की पहले भी इस मामले में मध्यस्थता में गोपनीयता रखे जाने की बात कही गई थी वह जारी रहेगी.
अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वकीलों से अपनी जिरह को खत्म करने की संभावित समय-सीमा बताने को कहा था. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने सुनवाई के 25वें दिन लंच के बाद मुस्लिम पक्ष के प्रतिनिधि वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन से इस मामले में जिरह पूरा करने की समय-सीमा बताने को कहा था.
#BIG – Parties to the Ayodhya Land Dispute case inform SC that Arguments will be over by October 18. This implies that the 5 judge bench headed by CJI Gogoi will have to write the verdict in a month and deliver it by Nov 17. CJI Gogoi retires on Nov 17. @ThePrintIndia
— ??????? ??? (@DebayanDictum) September 18, 2019
प्रधान न्यायधीश ने कहा, ‘इससे हमें इस मामले पर फैसला सुनाने में बचे समय का अंदाजा लगेगा.’ धवन ने इसके जवाब में कहा कि वह इस मामले में फैसले का इंतजार कर रहे हैं. मुख्य न्यायाधीश 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
राम मंदिर विवाद में हिंदू पक्षकारों का कहना है कि 16वीं शदी में बना बाबरी मस्जिद राम मंदिर को तोड़कर बनाया गया था. इस स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है.
निर्मोही अखाड़ा की तरफ से दलील दी गई थी कि मस्जिद के पिलर पर आदमी और जानवरों के चित्र मिले हैं. मान्यताओं के आधार पर ऐसी जगह इस्लाम में प्रार्थना के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
प्रधान न्यायाधीश ने धवन से अपने पक्ष से सलाह के बाद समय-सीमा बताने को कहा था साथ ही सभी न्यायाधीशों ने धवन से प्रतिवादियों के वकीलों से चर्चा कर समय-सीमा तय करने की बात भी कही थी. संवैधानिक पीठ में न्यायाधीश ए.ए. बोबडे, डी.वाई. चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस.ए. नजीर शामिल हैं. सुनवाई की शुरुआत में धवन ने कहा था उन्हें इस मामले पर जिरह के लिए कम से कम 20 दिन चाहिए.
SC states that if mediation panel wants to continued mediation proceedings then it can continue simultaneously with court hearings. Mediation will continue to be a confidential affairs as directed earlier. @ThePrintIndia
— ??????? ??? (@DebayanDictum) September 18, 2019
इस मामले की 6 अगस्त से ही रोजाना सुनवाई हो रही है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें दायर की गई हैं, जिसमें 2.77 एकड़ विवादित जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बराबर बांटने की बात कही गई थी.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ)