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Monday, 23 December, 2024
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कोरोनावायरस से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर में मंदिरों और मस्जिदों से चलाए जा रहे हैं जागरूकता अभियान

कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए किश्तवाड जिला प्रशासन मंदिरों व मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों से बकायदा घोषणाएं करवा रहा है.

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जम्मू: जम्मू-कश्मीर में कोरोनावायरस के खतरे से निपटने के लिए प्रशासन धार्मिक स्थलों की मदद भी ले रहा है. इस सिलसिले में मंदिरों व मस्जिदों से जागरूकता अभियान शुरू किए गए हैं. इस तरह का पहला प्रयोग जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड जिले में लगभग दो हफ़्ते पहले शुरू किया गया था. इस प्रयास के बेहद अच्छे और सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद अन्य जिलों में भी कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए इसी तरह के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.

कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए किश्तवाड जिला प्रशासन ने मंदिरों व मस्जिदों की सहायता से संदेश देने शुरू किए हैं. आवश्यक संदेश पहुंचाने के लिए मंदिरों व मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों से बकायदा घोषणाएं करवाई जा रही हैं. कोरोनावायरस से कैसे बचाव करना है और क्या उपाए अपनाने हैं इसके लिए मंदिरों व मस्जिदों से महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा रही हैं. लोगों से लगातार सावधान रहने की अपील भी की जा रही है.

जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े व अति दुर्गम पर्वतीय जिले किश्तवाड में प्रशासन द्वारा शुरू किए गए अपने आप में इस नए व अलग तरह के अभियान से बहुत कम समय में आम लोगों तक कोरोनावायरस को लेकर ठोस व अहम जानकारी पहुंचाने में सफलता मिल रही है. लोग इस प्रयास के लिए प्रशासन की तारीफ़ कर रहे हैं. मंदिरों व मस्जिदों से शुरू किए गए इस अभियान ने कोरोना के खिलाफ़ जारी जंग में लोगों को जोड़ने में मदद की है.

किश्तवाड है जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा जिला

लगभग 7,737 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले किश्तवाड जिले के हर कोने तक लोगों में कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता फैलाना और लोगों को चौकस करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. किश्तवाड की अधिकतर आबादी अति दुर्गम, घने जंगलों और ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बसे छोटे-छोटे गांव में रहती है. भौगोलिक परिस्थतियां ऐसी हैं कि हर गांव, हर व्यक्ति तक प्रशासन का पहुंच पाना संभव नहीं हो पाता. किश्तवाड के कई इलाकों में संचार सुविधाओं की कमी भी है और कई इलाके सड़क मार्ग से जुड़े हुए भी नही हैं. ज़िला मुख्यालय किश्तवाड से जिले के कई हिस्सों तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं.


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जिले के विशाल आकार और विषम भौगोलिक परिस्थतियों को देखते हुए ही किश्तवाड के जिला उपायुक्त राजेन्द्र सिंह तारा ने बिना समय गवाएं पूरे जिले के मंदिरों व मस्जिदों सहित तमाम धार्मिक स्थलों द्वारा आम लोगों तक कोरोनावायरस से संबंधित तमाम आवश्यक संदेश पहुंचाने का निर्णय लिया.

किश्तवाड के ज़िला उपायुक्त राजेन्द्र सिंह तारा ने बताया कि मंदिरों व मस्जिदों की मदद लेने के लिए पूरे जिले के तहसीलदारों की बकायदा ज़िम्मेवारी लगाई गई. प्रत्येक तहसीलदार ने अपने-अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले मंदिर व मस्जिद की प्रबंध समितियों को विश्वास में लेकर फ़ौरन मंदिरों व मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों से ऐलान करवाने शुरू किए. मंदिरों में सुबह-शाम की आरती और मस्जिदों में पांचों वक्त की नमाज़ के समय कोरोनावायरस से बचने के उपायों के बारे में लगातार बताया जाने लगा और यह सिलसिला लगातार जारी है.

किश्तवाड जिले में प्रशासन की इस पहल के अच्छे परिणाम सामने आए हैं. धार्मिक स्थलों से कोरोनावायरस को लेकर हो रही घोषणाओं से आम लोगों में मनोवैज्ञानिक असर भी हो रहा है और लोग बताई जा रही सावधानियों का पालन भी कर रहे हैं.

ज़िला उपायुक्त राजेन्द्र सिंह तारा के अनुसार ऐसा करने से प्रशासन को लोगों में कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता फैलाने में काफी सहायता मिली है. उपायुक्त राजेन्द्र सिंह तारा ने बताया कि दूर-दराज़ व दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों तक कोरोनावायरस को लेकर सही जानकारी पहुंचाने के लिए मंदिरों व मस्जिदों द्वारा संदेश पहुंचाने से बेहतर कोई और विकल्प नहीं हो सकता था.

किश्तवाड जिले में सफलतापूर्वक चलाए जा रहे इस अभियान के बाद जम्मू-कश्मीर के कुछ अन्य जिलों में भी इसी तरह से धार्मिक स्थलों द्वारा लोगों के बीच कोरोनावायरस को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.

महामारी घोषित, लगी पांबदियां

इस बीच जम्मू-कश्मीर में कोरोनावायरस को एक महामारी घोषित कर दिया गया है. कोरोनावायरस के ख़तरे को देखते हुए प्रशासन ने पूरे जम्मू-कश्मीर में कईं तरह की पांबदियां लागू कर दी हैं. पूरे जम्मू-कश्मीर में अभी तक लगभग 2478 लोगों को निगरानी में रखा गया है जबकि अभी तक तीन लोग संक्रमित पाए गए हैं.

कोरोनावायरस से उपजे हालात को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर में सबसे पहले सार्वजनिक स्थलों पर इकट्ठा होने पर पांबदियां लगा दी गई थी. अधिकतर जिलों में धारा 144 बीते सप्ताह ही लागू कर दी गई थी. गत 11 मार्च से सभी स्कूल-कॉलेज व विश्वविद्यालय बंद हैं जबकि 13 मार्च से ही सिनेमाघर, मॉल, जिम, कल्ब, बार, रेस्त्रां, होटल, आदि को बंद करने के आदेश भी जारी कर दिए गए थे.

कोरोना के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए बाग-बगीचों आदि को भी आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है. एहतियात के तौर पर सड़क किनारे लगने वाली खाने-पीने की दुकानों और ढाबों आदि को भी प्रशासन ने बंद करवा दिया है.

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने भी कोरोनावायरस को देखते हुए कई कदम उठाए हैं. उच्च न्यायालय ने सिर्फ ज़रूरी मामलों की सुनवाई करने का ही फ़ैसला लिया है.


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करोना वायरस के ख़तरे से पैदा हुए हालात के चलते लगभग सभी जगह बाज़ारों में अजीब सा सन्नाटा है. यातायात में भारी कमी के कारण सड़के सुनसान हैं. पहली नज़र में स्थिति किसी कर्फ़्यू जैसी लग रही है. लोग घरों में ही रहना पसंद कर रहे हैं. आम लोगों ने शादी-विवाह जैसे निजी समारोह भी स्थगित कर दिए हैं.

उधर, कश्मीर और जम्मू के पर्यटक स्थलों से पर्यटक वापस वापस लौट गए हैं. तमाम होटल व हाउस बोट ख़ाली हो चुके हैं और पहलगाम, गुलमर्ग, पत्नीटॉप जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में सन्नाटा पसरा हुआ है.

माता वैष्णो देवी की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी हिदायतें जारी की गई हैं और विदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं से माता वैष्णो यात्रा पर अगले कुछ दिनों तक नहीं आने के लिए कहा गया है. जम्मू व श्रीनगर के एयरपोर्ट, जम्मू, कटरा और उधमपुर सहित सभी रेलवे स्टेशनों पर भी नज़र रखी जा रही है. बस अड्डों पर भी आने-जाने वालों की जांच की जा रही है.

(लेखक जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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