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Tuesday, 26 November, 2024
होमदेशऔरेया हादसा: 'आंखों के सामने भाई और भतीजे को खो दिया, तमाम कोशिशें की लेकिन नहीं बचा पाए'

औरेया हादसा: ‘आंखों के सामने भाई और भतीजे को खो दिया, तमाम कोशिशें की लेकिन नहीं बचा पाए’

राजस्थान से आ रहे एक ट्रक की डीसीएम (मिनी बस) से टक्कर हो गई. इस हादसे में 24 श्रमिकों की मृत्यु हो गई वहीं 30 से अधिक घायल हुए हैं. फिलहाल घायलों का सैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है.

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लखनऊ: श्रमिकों व मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए भले ही सरकारें बस, ट्रेन समेत तमाम सुविधाएं देने का दावा करती हो लेकिन अभी उन्हें पैदल या फिर ट्रक, ट्रैक्टर, टैम्पो का सहारा लेना पड़ रहा है. शनिवार सुबह औरेया में हुए हादसे ने इस बात की पोल भी खोल कर रख दी है.

राजस्थान से आ रहे एक ट्रक की डीसीएम (मिनी बस) से टक्कर हो गई. इस हादसे में 24 श्रमिकों की मृत्यु हो गई वहीं 30 से अधिक घायल हुए हैं. फिलहाल घायलों का सैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. वहीं योगी सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों के लिए 2 लाख व घायलों के लिए 50 हजार रुपए बतौर मुआवजा दिए जाने की घोषणा की गई है.

स्थानीय प्रशासन द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक राजस्थान से चूना लदा ट्रक पश्चिम बंगाल के लिए चला था. इसमें करीब 80 प्रवासी मजदूर सवार थे. वहीं दूसरी तरफ एक डीसीएम गाजियाबाद से 20 मजदूरों को लेकर मध्य प्रदेश के सागर जा रहा था. इसी दौरान औरेया जिले के चिरुहली गांव के पास ट्रक डिस्बैलेंस हो गया और एक ढाबे के पास खड़ी डीसीएम से टकरा गई. इस दौरान ट्रक व डीसीएम पलट गए.

हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस वहां पहुंची लेकिन कई लोगों की तब तक घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी. औरैया की चीफ मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) अर्चना श्रीवास्तव ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अस्पताल में 24 लोगों को मृत लाया गया. वहीं, जिन 37 घायल लोगों को भर्ती किया गया है उनमें से 15 की हालत नाजुक है. इन 15 लोगों को सैफई के मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है.

आंखों के सामने तबाह हो गईं जिंदगियां

इस हादसे के चश्मदीद उमेश कुमार कालिंदी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस हादसे में अपने भाई व भतीजे को आंखों के सामने ही खो दिया. तमाम कोशिशें की लेकिन उन्हें नहीं बचा पाए’.

उमेश ने बताया कि वह जयपुर में प्रवासी मजदूर के तौर पर काम करते थे. उन्हें व उनके कई साथियों को जयपुर से वापस अपने घर झारखंड जाना था.


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उनके मुताबिक, ‘सरकारी बस में बैठाकर हमें भरतपुर तक छोड़ दिया गया जो कि यूपी-राजस्थान बॉर्डर पर है. वहां हमें रोक लिया गया. इसके बाद वहां पर एक ट्रक जा रहा था जिसमें हम बैठ गए. ट्रक में चूने के बोरे भी लदे हुए थे लेकिन घर पहुंचने की चिंता थी इसलिए सवार हो लिए. सुबह 3.30 बजे के लगभग सब सो रहे थे जब ट्रक का बैलेंस बिगड़ा और वहां खड़ी डीसीएम से टकरा गया’.

इस हादसे में उमेश इसलिए बच गए क्योंकि वह जग रहे थे और टक्कर होते ही कूद पड़े. इससे चोट जरूर आई लेकिन जान बच गई लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि वे अपने भाई व भतीजे को नहीं बचा पाए.

डीसीएम से ही गाजियाबाद से मध्य प्रदेश जा रहे गोविंद ने बताया कि ढाबे पर चाय पीने के लिए ड्राइवर ने गाड़ी रोकी. वह भी उतर गए इतने में एक ट्रक ने इसमें टक्कर मार दी जिसके बाद ट्रक व डीसीएम दोनों पलट गए. उन्होंने तमाम लोगों को बाहर निकाला लेकिन कई लोगों ने घटना स्थल पर दम तोड़ दिया था.

वहीं औरेया के डीएम अभिषेक सिंह ने बताया कि ये हादसा सुबह 3.30 बजे हुआ था. इस हादसे के शिकार हुए ज्यादातर लोग बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के हैं. उनके पास से मिले दस्तावेज की मदद से मृतकों व घायलों की लिस्ट बना ली गई है और जिनके घरों के नंबर मिले हैं उनके यहां सूचित भी कर दिया गया है.

स्थानीय प्रशासन से जुड़े सूत्रों की मानें तो ट्रक ओवरलोडेड था. उसमें 70 से ज्यादा लोग सवार थे. वह रास्ते में डिस्बैलेंस हो गया.

एसएचओ पर कार्रवाई, कई अधिकारी तलब

औरेया घटना पर संज्ञान लेते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने फतेहपुर सीकरी (आगरा) और कोसी कलां (मथुरा) के एसएचओ को तत्काल निलंबित करने के आदेश दे दिए. वहीं एसएसपी, एडिशनल एसपी मथुरा, एसएसपी आगरा व एडिशनल एसपी आगरा, एडीजी आगरा जोन, आईजी आगरा जोन से इस मामले में तत्काल स्पष्टीकरण मांगा गया है. वहीं आईजी कानपुर को घटनास्थल का दौरा कर दुर्घटना के कारणों पर तुरंत रिपोर्ट देने को कहा है.

आगरा जोन के एडीजी अजय आनंद ने स्थानीय मीडिया से कहा कि जिस ट्रक के साथ दुर्घटना हुई वह फतेहपुर सीकरी से होकर गुजरा था. प्रशासन को स्पष्ट निर्देश थे कि प्रवासी श्रमिकों को ट्रकों में यात्रा करने की अनुमति नहीं देनी है. फिर भी लापरवाही हुई.

सीएम के आदेशों का नहीं हुआ पालन

बीते शनिवार को ही योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों के संग बैठक में निर्देश दिए थे कि कोई भी श्रमिक पैदल भटकता हुआ न दिखे. उसे खाना-पानी उपलब्ध कराके बस या कैब के माध्यम से उसके घर तक पहुंचाया जाए लेकिन अगले ही दिन प्रशासन की लापरवाही ने सरकारी दावों की पोल खोल दी.

कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय लल्लू ने बयान जारी कर सवाल उठाया कि जब सीएम ने श्रमिकों को ट्रेन, बसों या गाड़ियों से भेजने के आदेश दिए थे तो उन्हें क्यों ट्रक में लदकर आना पड़ा. इस हादसे की जिम्मेदार सरकार है.


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इस मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि सब कुछ जानकर सब कुछ देखकर भी मौन धारण करने वाले हृदयहीन लोग और उनके समर्थक देखें कब तक इस उपेक्षा को उचित ठहराते हैं. ऐसे हादसे मृत्यु नहीं हत्या हैं. 24 से भी अधिक गरीब प्रवासी मज़दूरों की मौत पर दुख व घायलों के लिए दुआएं.हैं. वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से मृतकों के परिजनों को 1-1 लाख का मुआवजा दिया जाएगा.

कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि हृदय विदारक घटना ने एक बार फिर यह प्रश्न उपस्थित कर दिया है कि आखिर सरकार क्या सोचकर इन मजदूरों के घर जाने की समुचित व्यवस्था नहीं कर रही है? प्रदेश के अंदर मजदूरों को ले जाने के लिए बसें क्यों नहीं चलाई जा रही हैं? या तो सरकार को कुछ दिख नहीं रहा या..वो सब कुछ देख के अनजान बनी हुई है.

लगातार सड़क हादसों का शिकार हो रहे मजदूर

उन्नाव में दिल्ली से बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूर दंपत्ति की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. यह हादसा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हुआ. मीडिया रिपर्ट्स के मुताबिक ऑटो में पेट्रोल डालते समय पीछे से वाहन के टक्कर मारने से प्रवासी पति-पत्नी की मौत हो गई. दुर्घटना में मारा गया श्रमिक दिल्ली में ऑटो चलाता था. इससे पहले बुधवार को यूपी के मुजफ्फरनगर-सहारनपुर स्टेट हाइवे पर पंजाब से लौट रहे मजदूरों को एक रोडवेज बस ने कुचल दिया था. हादसे में छह मजदूरों की मौत हो गई और चार गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

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