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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशबिना चुनाव प्रचार के जीता था ये सांसद, अब दुष्कर्म के आरोप में किया सरेंडर

बिना चुनाव प्रचार के जीता था ये सांसद, अब दुष्कर्म के आरोप में किया सरेंडर

अतुल राय ने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी लेकिन उन्‍हें निराशा हाथ लगी. अदालत ने उन्‍हें 14 दिन की न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया है.

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लखनऊ/वाराणसी: यूपी की घोसी लोकसभा सीट से सांसद और दुष्कर्म के आरोपी अतुल राय ने शनिवार को वाराणसी की सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया. अतुल राय लोकसभा चुनाव प्रचार के समय से ही लापता चल रहे थे. उन्‍होंने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी लेकिन उन्‍हें निराशा हाथ लगी. अदालत ने उन्‍हें 14 दिनों की न्‍यायिक हिरासत में भेज दिया है.

राय पर क्या है आरोप

दरअसल बीते मई के महीने में उनके खिलाफ वाराणसी की एक छात्रा ने रेप का आरोप लगाते हुए लंका थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था. छात्रा का आरोप है कि अतुल राय ने उसे पत्नी से मिलाने के लिए आवास पर बुलाया था और इसके बाद मौके का फायदा उठाकर दुष्कर्म किया. पीड़िता का आरोप है कि अतुल ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी. हालांकि, अतुल राय का कहना है कि युवती उनके ऑफिस आकर चुनाव लड़ने के नाम पर चंदा लेती थी और चुनाव में प्रत्याशी बनने के बाद ब्लैकमेल करने का प्रयास किया.


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फरार रहने के बावजूद हासिल की बड़ी जीत

घोसी लोकसभा सीट पर अतुल राय ने भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर को 1,22,018 हजार वोट से शिकस्त दी थी. अतुल को 5,72,258 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर को 4,50,240 वोट पर संतोष करना पड़ा. खास बात ये थी कि नामांकन करने के बाद अतुल कभी सीट पर प्रचार करने के लिए आए ही नहीं. अतुल राय के बचाव में मायावती भी उतरी थीं और उन्होंने कहा था कि उनके उम्मीदवारों को बदनाम करने के लिए बीजेपी साजिश कर रही है.

अतुल को माना जाता है मुख्तार का करीबी

अतुल राय घोसी की सियासत का केंद्र कई साल से हैं. गाजीपुर जिले के वीरपुर के मूल निवासी अतुल राय मंडुवाडीह थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं और पंजाब की जेल में बंद मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी के करीबियों में एक हैं. अतुल के खिलाफ वाराणसी और गाजीपुर सहित आसपास के अन्य जिलों में गंभीर आपराधिक आरोपों में 15 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के करीबी अतुल राय की इलाके में एक दबंग की छवि है. वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार देवेश बताते हैं कि इलाके में अतुल को मुख्तार अंसारी का बेहद करीबी माना जाता है. यही कारण है कि पब्लिक की नजर में रहे हैं. बिना चुनाव प्रचार किए उन्हें जीत मिली.


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कौमी एकता दल का बसपा में विलय कराने में अहम भूमिका

अतुल ने अंसारी परिवार के साथ ही अपनी राजनीति की पारी भी शुरू की. 2017 चुनाव के पहले अतुल राय ने बसपा का दामन थाम लिया था और जमानियां विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए. यह भी कहा जाता है कि कौमी एकता दल का बसपा में विलय भी अतुल राय ने ही कराया. इतना ही नहीं जमानिया नगरपालिका चेयरमैन पर बसपा को जीत दिलाने में भी उनकी भूमिका रही. अतुल राय ने दिलदारनगर नगर पंचायत में भी अपने करीबी को चेयरमैन बनवाने में सफल हुए.

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