नई दिल्ली: अटॉनी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इंकार कर दिया है. राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ अभिनेत्री ने कथित तौर पर ‘अपमानजनक और निंदनीय’ बयान दिए थे.
किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत की अवमानना कानून, 1971 की धारा 15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलीसीटर जनरल की सहमति की जरूरत होती है.
अभिनेत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए वकील अनुज सक्सेना ने अटॉर्नी जनरल की सहमति मांगी थी.
वेणुगोपाल ने 21 अगस्त को सक्सेना को लिखे पत्र में कहा कि अभिनेत्री के बयान दो पैराग्राफ में हैं, जो तथ्यात्मक प्रतीत होते हैं और यह बोलने वाले की अपनी धारणा हो सकती है.
अटॉर्नी जनरल द्वारा अभिनेत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इंकार करने के बाद याचिकाकर्ता ने इसी तरह की याचिका सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के पास भेजी है और उनसे सहमति मांगी है.
वेणुगोपाल ने कहा, ‘टिप्पणी उच्चतम न्यायालय के फैसले से जुड़ी हुई है और यह संस्थान पर हमला नहीं है. यह उच्चतम न्यायालय पर टिप्पणी नहीं है या कुछ ऐसा नहीं कहा गया जिससे निंदा होती है या निंदा करने की मंशा हो या उच्चतम न्यायालय के अधिकार को कमतर आंकने या कमतर आंकने की मंशा दिखती हो. मेरे विचार से बयान आपराधिक अवमानना नहीं है.’
उन्होंने कहा कि बयान का दूसरा हिस्सा अस्पष्ट है और किसी विशिष्ट अदालत से जुड़ा हुआ नहीं है ‘और कुछ ऐसा है कि कोई भी इस बयान का गंभीर संज्ञान नहीं लेगा.’
वेणुगोपाल ने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस मामले में अदालत की निंदा या अदालत के अधिकारों को कमतर करने का अपराध नहीं बनता है. इसलिए, मैं स्वरा भास्कर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इंकार करता हूं.’
वकील महक माहेश्वरी ने अनुज सक्सेना और प्रकाश शर्मा के साथ 18 अगस्त को अटॉर्नी जनरल के समक्ष याचिका दायर कर आरोप लगाए कि भास्कर ने ‘मुंबई कलेक्टिव’ की तरफ से एक फरवरी 2020 को आयोजित एक पैनल परिचर्चा में ये बयान दिए थे.