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मंगलवार, 10 जून, 2025
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अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में दूसरे भारतीय बनकर इतिहास रचने की कगार पर

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नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना होने की तैयारी कर रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इतिहास के मुहाने पर खड़े हैं। यह भारत की अंतरिक्ष उड़ान में वापसी का प्रतीक है क्योंकि 41 साल पहले शुक्ला के आदर्श राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के इंटरकॉस्मोस कार्यक्रम के तहत आठ दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा की थी।

लखनऊ में जन्मे शुक्ला को ‘शुक्स’ के नाम से जाना जाता है। वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)-नासा समर्थित एक्सिओम स्पेस के वाणिज्यिक अंतरिक्ष यान का हिस्सा हैं, जिसके बुधवार शाम फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए 14 दिनों की यात्रा पर रवाना होने की उम्मीद है।

भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन शुक्ला को 2019 में साथी अधिकारियों प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप और अजीत कृष्णन के साथ गगनयान मिशन के लिए भारत के अंतरिक्ष यात्री दल का हिस्सा बनने के लिए चुना गया था, जिसे 2027 में शुरू किए जाने की संभावना है।

दस अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुक्ला ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने से पहले सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की।

उन्हें 2006 में भारतीय वायुसेना में कमीशन दिया गया था और उनके पास सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29, जगुआर और डोर्नियर-228 सहित कई प्रकार के विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमटेक की डिग्री प्राप्त की है।

शुक्ला और गगनयान के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के गागरिन कॉस्मोनॉट प्रशिक्षण केंद्र और बेंगलुरु स्थित इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया।

एक्सिओम-4 मिशन में शुक्ला के साथी, कमांडर पैगी व्हिटसन और हंगरी से मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापू तथा पोलैंड से स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के मामले में उन्हें ‘परिचालन के लिहाज से कुशल’, ‘केंद्रित’ और ‘अत्यंत बुद्धिमान’ बताते हैं।

शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत में कहा, ‘यह सिर्फ मेरी यात्रा नहीं है; यह 1.4 अरब भारतीयों की यात्रा है। यदि यह कहानी किसी एक का जीवन बदल सकती है या किसी एक युवा को प्रेरित कर सकती है, तो यह सफल होगी।’’

शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा, मानव अंतरिक्ष यान में भारत की वापसी का प्रतीक है क्योंकि 41 वर्ष पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा करके इतिहास रचा था।

लखनऊ में, शुक्ला के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) में उनकी अंतरिक्ष उड़ान का जश्न मनाने के लिए इसके प्रसाण को सार्वजनिक रूप से देखे जाने का कार्यक्रम आयोजित काने की योजना बनाई है।

पूरे शहर में ‘शुक्स’ को उनकी अंतरिक्ष उड़ान के लिए बधाई देने वाले कई होर्डिंग लगाए गए हैं। सीएमएस ने स्पेसएक्स प्रक्षेपण को नासा/एक्सिओम कमेंट्री के साथ सीधे प्रसारण के लिए विशाल स्क्रीन लगाई हैं।

शुक्ला की बहन सुची मिश्रा ने लखनऊ में कहा, ‘हम प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। शुक्स अविश्वसनीय रूप से केंद्रित हैं, फिर भी खुशी से भरे हुए हैं।’’

आईएसएस में 14 दिनों के प्रवास के दौरान, एक्स-4 चालक दल के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, स्कूली छात्रों और अंतरिक्ष उद्योग के दिग्गजों के साथ बातचीत करने की उम्मीद है।

शुक्ला नासा के समर्थन से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के बीच सहयोग के तहत विकसित विशेष खाद्य और पोषण संबंधी प्रयोग करने की तैयारी में हैं।

इसरो ने शुक्ला के लिए सात प्रयोग की योजना बनायी है। साथ ही शुक्ला नासा द्वारा अपने मानव अनुसंधान कार्यक्रम के लिए नियोजित पांच संयुक्त अध्ययनों में भी भाग लेंगे।

भाषा

अमित रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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