गुवाहाटी, 30 मई (भाषा)असम में विपक्षी नेताओं ने शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा हथियार लाइसेंस नीति को ‘उदार’बनाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह लोगों का ‘ध्रुवीकरण’ करने वाली कार्रवाई है और इससे राज्य में काफी मुश्किल से हासिल की गई शांति खतरे में पड़ जाएगी।
विपक्षी नेताओं ने इस निर्णय को यथाशीघ्र रद्द करने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की।
असम सरकार ने बुधवार को ‘‘असुरक्षित और दूरदराज’’ क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए उन्हें हथियार लाइसेंस देने की घोषणा की थी।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘असम एक बहुत ही अलग और संवेदनशील राज्य है। कुछ क्षेत्रों में रहने वाले असमिया लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे लंबे समय से शस्त्र लाइसेंस की मांग कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि सरकार पात्र लोगों को लाइसेंस देने में उदारता बरतेगी, जो मूल निवासी होने चाहिए और राज्य के (सुरक्षा की दृष्टि से) ‘‘संवदेनशील और दूरदराज’’ के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय से संबंधित होने चाहिए।
शर्मा ने कहा कि इस श्रेणी में धुबरी, मोरीगांव, बारपेटा, नगांव और दक्षिण सलमारा-मनकाचर जिले शामिल हैं। उन्होंने कहा था, ‘‘इन जगहों पर हमारे लोग अल्पसंख्यक हैं।’’
असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस विधायक देवव्रत सैकिया ने इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि यह ‘‘असंवैधानिक कार्रवाई असम की कठिनाई से प्राप्त शांति को खतरे में डालेगी’’।
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे पत्रों में इस ‘‘खतरनाक और विभाजनकारी नीति’’ को रद्द करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह निर्णय सरकार की संस्थागत विफलता की स्पष्ट स्वीकारोक्ति है।
सैकिया ने दावा किया कि इस नीति के ‘‘खतरनाक जनसांख्यिकीय निहितार्थ’’ हैं। उन्होंने कहा कि चुनिंदा हथियारों के प्रयोग से मौजूदा सामाजिक विभाजन और गहरा हो सकता है तथा संभावित रूप से नए सशस्त्र गुटों का निर्माण हो सकता है।
सैकिया ने कहा, ‘‘सांप्रदायिक आधार पर नागरिकों को हथियार देना विपदा का कारण होगा। असम सरकार द्वारा सतर्कता न्याय को बढ़ावा देना कानून प्रवर्तन का समर्थन करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से विमुख होना दर्शाता है। उन्हें याद रखना चाहिए कि बंदूक की नोक पर शांति कायम नहीं रह सकती।’’
तृणमूल कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हथियार लाइसेंस जारी करने में उदारता बरतने का यह निर्णय पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अपमान है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री को अब अपने पुलिस बल या केंद्र के बीएसएफ पर भरोसा नहीं है। यह पुलिस और बीएसएफ का अपमान है।’’ देव ने कहा कि शर्मा राज्य के गृह मंत्री भी हैं।
तृणमूल सांसद ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि लोग इन हथियारो का इस्तेमाल केवल ‘खुद की सुरक्षा’ के लिए ही करेंगे।
देव ने कहा, ‘‘मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहती हूं – क्या आप इस पर नियंत्रण कर सकते हैं कि एक बार लोगों को बंदूक मिल जाने के बाद वे इसका इस्तेमाल कैसे करेंगे? मुख्यमंत्री लोगों के कल्याण के लिए नहीं बल्कि उनका ध्रुवीकरण करने के लिए काम कर रहे हैं।’’
तृणमूल सांसद ने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) नीत सरकार असम के लोगों से घुसपैठ के मुद्दे पर किये गए वादे को पूरा करने में विफल रही है।
भाषा धीरज नरेश
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