गुवाहाटी, आठ फरवरी (भाषा) गौहाटी उच्च न्यायालय के पिछले महीने के आदेश का पालन करते हुए असम सरकार ने राज्य में हुए पुलिस मुठभेड़ों पर विस्तृत हलफनामा दायर किया है।
अदालत ने मंगलवार को मुठभेड़ों से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई 10 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने 11 जनवरी को राज्य सरकार से मई, 2021 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद राज्य में हुई मुठभेड़ों पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
राज्य के महाधिवक्ता देवजीत लोन सैकिया ने पीटीआई/भाषा को बताया, ‘‘उच्च न्यायालय के आदेशानुसार असम सरकार ने कल हलफनामा दायर किया। अदालत ने मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को करने का फैसला लिया है।’’
असम सरकार 25 जनवरी को हलफनामा दायर करने में असफल रही थी, जिसके बाद अदालत ने उसे और वक्त दिया और मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी थी।
वकील आरिफ मोहम्मद यासिन जवाद्देर की इस जनहित याचिका में असम सरकार के अलावा, राज्य के पुलिस महानिदेशक (पुलिस प्रमुख), कानून एवं न्याय विभाग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और असम मानवाधिकार आयोग को भी पक्ष बनाया गया है।
याचिका में मुठभेड़ों की जांच अदालत की निगरानी में सीबीआई, एसआईटी या दूसरे राज्यों की पुलिसटीम जैसी स्वतंत्र एजेंसियों से कराने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने उच्च न्यायालय के कियी पीठासीन न्यायाधीश से न्यायिक जांच कराने और सत्यापन के बाद पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता देने की भी मांग की है।
जवाद्देर ने जनहित याचिका में दावा किया है कि असम पुलिस ने 80 से ज्यादा फर्जी मुठभेड़ किए हैं और आरोप लगाया कि हिमंत बिस्व सर्मा के मई, 2021 में मुख्यमंत्री बनने के बाद हुई इन मुठभेड़ों में 28 लोगों की मौत हुई है जबकि 48 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि जो लोग मारे गए हैं या घायल हुए हैं वे घोषित अपराधी नहीं हैं और सभी मुठभेड़ों में पुलिस की कार्यशैली समान रही है।
भाषा अर्पणा अनूप
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