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रविवार, 25 मई, 2025
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असम गण परिषद ने अपनी क्षेत्रीय, सांप्रदायिक छवि बरकरार रखी : पार्टी प्रमुख

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(सुष्मिता गोस्वामी)

गुवाहाटी, तीन अप्रैल (भाषा) असम में कई वर्षों तक सत्ता में रहने वाली असम गण परिषद (एजीपी) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ वर्षों तक गठबंधन में रहने के बावजूद अपनी क्षेत्रीय व सांप्रदायिक छवि बरकरार रखी है। पार्टी के अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री अतुल बोरा ने यह जानकारी दी।

एजीपी फिलहाल राज्य में भाजपा नीत गठबंधन सरकार का हिस्सा है।

बोरा ने यह भी दावा किया कि निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के कारण आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी। उन्होंने पार्टी के दो सीटों पर जीत हासिल करने का विश्वास जताया। एजीपी गठबंधन के तहत दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

बोरा ने यह भी कहा कि विकास, सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत की कुंजी है और ‘अलग-थलग पड़ा विपक्ष’ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को असम में चुनावी लड़ाई जीतने में मदद करेगा।

बोरा ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, ”वर्ष 1996 में जब एजीपी राज्य की सत्ता पर काबिज थी तब हमारी भाजपा से नजदीकियां बढ़ी थीं और तब से ही हम साथ में काम कर रहे हैं। भाजपा हमारी पुरानी सहयोगी है और हम बेहद दोस्ताना तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। हम खुश हैं।”

अवैध प्रवासियों के खिलाफ छह वर्षों तक चले आंदोलन के बाद एजीपी का गठन हुआ था। यह आंदोलन, अगस्त 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ था।

राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि परिसीमन के बाद बदली हुई जनसांख्यिकी एजीपी को दोनों लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने में मदद करेगी। एजीपी, धुबरी और बारपेटा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है जबकि भाजपा 11 सीटों पर और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) एक सीट पर अपना उम्मीदवार उतार रही है। असम में लोकसभा की 14 सीट हैं।

एजीपी ने राज्य में अपनी पहली सरकार वर्ष 1985 में बनाई थी और 1996 में दूसरे दलों की मदद से वापस सत्ता पाई।

एजीपी 2001 से 2016 तक विपक्ष में रही लेकिन भाजपा और अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के रूप में आखिरकार उसे फिर से सत्ता की चाबी हाथ लगी।

एजीपी और भाजपा 2001 से कई विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ चुकी हैं लेकिन 2016 विधानसभा चुनावों के बाद से इस गठबंधन ने सही आकार पाया है।

बोरा ने कहा कि एजीपी ने अपनी क्षेत्रीय छवि को बरकरार रखा है लेकिन उसका दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र के समर्थन के बिना कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियां संभव नहीं हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय असम समझौते की धाराओं को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी है। बोरा ने राज्य में क्षेत्रवाद को ‘प्रासंगिक’ करार देते हुए कहा, ”हमारे राज्य में सभी तरह की जातियां, समुदाय और धर्म के साथ-साथ सभी वर्गों के लोग हैं। एजीपी एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, हम धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं। एजीपी की छत्रछाया में सभी लोग खुशहाल महसूस करते हैं।”

बोरा ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह एक विचाराधीन मामला है।

असम में तीन चरणों में 16, 19 अप्रैल और सात मई को लोकसभा चुनाव होंगे।

असम की 14 लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में भाजपा के नौ, कांग्रेस के तीन, एआईयूडीएफ का एक और एक निर्दलीय सदस्य का कब्जा है।

भाषा जितेंद्र मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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