गुवाहाटी, दो मई (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि बलूचिस्तान में ‘‘व्यवस्थित न्यायेतर हत्याएं’’ पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड के सबसे काले अध्यायों में से एक हैं।
शर्मा ने कहा कि वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स (वीबीएमपी) जैसे संगठनों का अनुमान है कि पाकिस्तान के इस प्रांत में 20,000 से अधिक लोग लापता हैं और सैकड़ों शव संदिग्ध और नृशंस परिस्थितियों में बरामद किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बलूचिस्तान में व्यवस्थित न्यायेतर हत्याएं – जिसे आमतौर पर ‘मार डालो और फेंक दो नीति’ के रूप में जाना जाता है – पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड में सबसे काले अध्यायों में से एक है।’’
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वर्षों से बलूच लोगों ने ‘जबरन गायब’ किए जाने के इस क्रूर अभियान को झेला है, जहां छात्रों, कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों का राज्य एजेंसियों द्वारा अपहरण कर लिया जाता है, यातना दी जाती है और बाद में वे दूरदराज के खड्डों में मृत पाए जाते हैं या उनके शव को सुनसान सड़कों पर फेंक दिया जाता हैं।’’
शर्मा ने आरोप लगाया कि इस तरह का ‘अमानवीय कृत्य बलूचिस्तान में राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का चेहरा बन गया है जहां परिवार बिना किसी उम्मीद के अपने प्रियजनों के क्षत-विक्षत शव प्राप्त करते हैं।
उन्होंने दावा किया कि इसी ‘‘गंभीर पृष्ठभूमि के खिलाफ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 के स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन के दौरान वैश्विक समुदाय द्वारा (बलूचिस्तान के मुद्दे पर) लंबे समय से कायम रखी गई चुप्पी को तोड़ा था।’’
शर्मा ने कहा कि बलूचिस्तान से होकर बहने वाली ‘लाल नदियों’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) न्याय और सम्मान से वंचित लोगों को आवाज दी तथा कहा कि भारत दबे-कुचले और खामोश लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के शब्दों में न केवल नैतिक स्पष्टता थी, बल्कि उनका अंतरराष्ट्रीय महत्व भी था – जिससे उस संकट की ओर ध्यान गया, जिसे पाकिस्तान ने छिपाने की कोशिश की थी।’
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादी हमले के बाद शर्मा सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट कर रहे हैं। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी।
भाषा सुरभि पवनेश
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