भुवनेश्वर, 14 जून (भाषा) पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के प्राधिकारियों ने एएसआई से आग्रह किया है कि आगामी रथ यात्रा उत्सव के दौरान पुरी स्थित मंदिर के रत्न भंडार (कोषागार) में मरम्मत कार्य पूरा कर लिया जाए। इस उत्सव के दौरान भगवान नौ दिन तक दूसरे मंदिर में विराजमान रहेंगे।
बारहवीं सदी के मंदिर के संरक्षक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने जुलाई 2024 में रत्न भंडार की मरम्मत शुरू की थी। उस समय इसे 46 साल बाद फिर से खोला गया था।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाढी ने एक पत्र में एएसआई के महानिदेशक यदुबीर सिंह रावत से रत्न भंडार के संरक्षण और मरम्मत कार्य में तेजी लाने का अनुरोध किया।
पाढी ने पत्र में कहा कि आगामी रथ यात्रा के दौरान 28 जून से छह जुलाई के बीच शेष कार्य पूरा कर लिया जाना चाहिए। रथ उत्सव 27 जून को आयोजित किया जाएगा।
वार्षिक रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहनों बलभद्र और सुभद्रा के साथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर माना जाता है और वह कुछ दिन वहां रहने के बाद लौटते हैं। देवता सजे-धजे रथों में यात्रा करते हैं, जिन्हें हजारों भक्त खींचते हैं।
पिछले साल रथ यात्रा उत्सव के समय देवताओं की अनुपस्थिति में भी रत्न भंडार खोला गया था।
आईएएस अधिकारी पाढी ने एएसआई को यह भी सूचित किया कि जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह को लेकर उत्सव के दौरान एजेंसी द्वारा निर्धारित निरीक्षण कार्य उप निदेशक या निदेशक रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए।
उन्होंने ‘अरुण स्तम्भ’ के पास खोंडालाइट पत्थर को बदलने और कीमती खजाने को संरक्षित करने के लिए आज तक किए गए काम के लिए एएसआई का आभार व्यक्त किया।
‘अरुण स्तम्भ’ सूर्य देव के सारथी ‘अरुण’ का प्रतिनिधित्व करने वाली एक अखंड चट्टान है जिसे पुरी में जगन्नाथ मंदिर के सामने रखा गया है।
पाढी ने कहा कि मंदिर के उत्तरी द्वार पर रैंप का निर्माण उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद एएसआई की देखरेख में पूरा किया गया।
उन्होंने बताया कि एसजेटीए ने ‘नटमंडप’ के वातानुकूलन के लिए संशोधित डिजाइन प्रस्तुत किया है लेकिन इस संबंध में एएसआई की मंजूरी का इंतजार है।
पाढी ने कहा कि मंदिर में रोशनी के बारे में एएसआई सलाहकारों के साथ चर्चा की जा रही है।
पत्र में श्री जगन्नाथ मंदिर के दीर्घकालिक संरक्षण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सभी लंबित कार्यों को समय सीमा के भीतर पूरा करने के महत्व पर भी जोर दिया गया है।
भाषा सिम्मी रंजन
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