नई दिल्ली: आगरा नगर निगम (एएमसी) ने पहली बार आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को ताजमहल पर जल कर के रूप में 1.9 करोड़ रुपये और संपत्ति कर के रूप में 1.5 लाख रुपये का और आगरा के किले पर 5 करोड़ रुपये से अधिक कर का भुगतान करने के लिए तीन नोटिस भेजे हैं.
एएसआई को 15 दिनों के भीतर बकाया राशि भुगतान करने के लिए कहा गया है, जिसके बाद स्मारक को ‘अटैच्ड’ करार दिया जाएगा और सिविक अधिकारी अधिक नियंत्रण करने में सक्षम होंगे.
एएसआई अधिकारियों के अनुसार ये सिविक निकाय अधिकारियों की ओर से एक कमी भी हो सकती है.
एएसआई के अधीक्षक पुरातत्वविद राज कुमार पटेल ने कहा की ‘संपत्ति कर स्मारकों पर लागू नहीं होता है. हम पानी के करों का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं क्योंकि इसका कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं होता है.
परिसर के भीतर हरियाली बनाए रखने के लिए पानी का उपयोग किया जाता है. ताजमहल के लिए पहली बार पानी और प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े नोटिस मिले हैं. हो सकता है यह गलती से भेजा गया हो.
पटेल ने एनडीटीवी से आगरा किले के नोटिस के बारे में बात करते हुए बताया कि एएसआई ने एएमसी को बताया है कि ‘संबंधित सरकारी अधिनियम स्मारकों को छूट देता है.’
रिपोर्टों में कहा गया है कि नोटिस कैसे जारी किए गए इसकी जांच चल रही है. अधिकारियों ने यह भी कहा कि एक निजी कंपनी, सरकार के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर, नोटिस प्रॉसेस कर रही थी.
इस बीच, आगरा के नगर आयुक्त निखिल टी फंडे ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उन्हें ताजमहल पर कर संबंधी कार्यवाही की जानकारी नहीं थी.
फंडे ने कहा कि एएसआई को नोटिस जारी किए जाने के मामले में, उनके जवाब के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. कर उद्देश्यों के लिए आयोजित एक नई ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन सर्वे सिस्टम के आधार पर, सरकारी भवनों और धार्मिक स्थलों सहित सभी परिसरों को बकाया राशि के लिए नोटिस जारी किया गया है. उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद छूट दी जाती है.
एएसआई के अधिकारियों ने यह भी कहा कि चूंकि ताजमहल को 1920 में संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था, इसलिए हाथीदांत के मकबरे पर कोई जल या संपत्ति कर नहीं लगाया गया था.
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(अनुवाद \ संपादन: अलमिना खातून)
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