लखनऊ: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में तांबे की बनी मानव आकृतियां, तलवार और भाले जैसे हथियार मिलने का दावा किया है, जो संभवत: 3,800 साल पुराने हैं.
एएसआई के अधिकारियों ने शनिवार को दिप्रिंट को बताया कि ये तांबे की आकृतियों का यह खजाना गत 10 जून को एक स्थानीय किसान की नजर में आया और इनकी संख्या 77 के करीब है. इन्हें संभवतः 1600-2000 ईसा पूर्व—ताम्रपाषाण युग के बाद के चरण (नवपाषाण और कांस्य युग के बीच की अवधि) का माना जा रहा है.
In recent Excavations at Sanauli, Baghpat, UP under Dr. SK Manjul, @ASIGoI finds Coffin Burials, furnaces & fascinating artifacts’. The present excavation is carried out to understand the extension of burial site and also habitation area in relation with earlier findings of 2018. pic.twitter.com/sq0idEjclc
— Archaeological Survey of India (@ASIGoI) May 2, 2019
कॉपर होर्ड्स वो पुरावशेष हैं जो ज्यादातर तांबे और अन्य घटकों से बने होते हैं और दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के पूर्वार्द्ध के माने जाते हैं. 19वीं शताब्दी की शुरुआत से उन्हें पहले यमुना-गंगा के संगम वाले क्षेत्र में खोजा गया था.
एएसआई के संरक्षण निदेशक और प्रवक्ता वसंत स्वर्णकार ने दिप्रिंट को बताया कि बागपत के सिनौली में 2018 में निकले पुरावशेषों की तरह ही इस खोज से भी पता चलता है कि क्षेत्र के निवासी जंग में लिप्त थे.
उन्होंने कहा, ‘इसी तरह की खोज हैवी होती हैं और इन्हें आसानी से संभाला नहीं जा सकता. उन पर बने निशानों से पता चलता है कि संभवत: इन्हें धातु की इन चीजों को एक-दूसरे पर वार के लिए इस्तेमाल किया गया था. अब तक, तीन प्रकार के पुरावशेष मिले हैं, नुकीली तलवारें, भाले और मानवीय आकृतियां.
उन्होंने कहा कि यह खोज अब थर्मोल्यूमिनेसेंस डेटिंग से गुजरेगी जो तकनीक आमतौर पर मिट्टी के बर्तनों और अन्य सिरेमिक पुरावशेषों की उम्र पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जाती है.
उन्होंने कहा, ‘… लेकिन एटा (1983) की अतरंजी खेड़ा नामक जगह—जो यहां से सबसे करीब है—में मिले पुरावशेष 1600-2000 ईसा पूर्व के पाए गए हैं. इसलिए, इन अवशेषों की रिलटिव डेटिंग से पता चलता है कि वे उसी अवधि के हो सकते हैं.’
2018 में एएसआई ने बागपत जिले में एक महत्वपूर्ण हड़प्पा कालीन कब्रगाह मानी जाने वाली सिनौली में एक सामूहिक कब्रगाह में दो रथ और अच्छी तरह संरक्षित आठ लाशों के अवशेष मिलने का दावा किया था.
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‘चांस’ डिस्कवरी
एएसआई अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय किसान बहादुर सिंह उर्फ फौजी ने मैनपुरी के गणेशपुर स्थित अपने पांच बीघा खेत में ये अवशेष एक टीले को समतल कराने के दौरान पाए.
अधिकारियों ने कहा कि उन्हें और कुछ ग्रामीणों को लगा कि उनके हाथ कोई खजाना लग गया है और वे उसे लेकर भाग गए, लेकिन बाद में इसे लेकर उनके बीच लड़ाई शुरू होने पर जिला प्रशासन को इसकी भनक लग गई.
कुरावली सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट वीरेंद्र कुमार मित्तल ने दिप्रिंट को बताया कि 11 जून को साइट का दौरा करने पर तांबे की 39 चीजें प्रशासन के हाथ लग गईं.
उन्होंने बताया, ‘वे भाले और खंजर सहित तांबे से बनी कई आकृतियां थीं. हमने इन्हें एकत्र किया और स्थानीय पुलिस स्टेशन में जमा करा दिया. हालांकि, चूंकि ऐसी खबरें थीं कि कुछ ग्रामीणों ने कुछ चीजें अपने पास रख रखी हैं, इसलिए हमने एक सार्वजनिक घोषणा की जिसके बाद स्थानीय लोगों ने ये पुरावशेष प्रशासन को सौंप दिए.’
एएसआई आगरा सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् राज कुमार पटेल ने दिप्रिंट को बताया कि ये आकृतियां 97-98 प्रतिशत तांबे की हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह मौके की बात थी. जब एएसआई को सूचित किया गया, तो हमने साइट का निरीक्षण किया और कुछ और प्राचीन वस्तुएं पाईं.’
पटेल ने कहा कि इन पुरावशेषों में कम से कम 2-3 प्रकार की तलवारें शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि पुरातत्वविदों ने 1800 ईसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व की चीजें खोजी हैं, लेकिन पिछले 10 वर्षों में की गई खोज 2500 और 2000 ईसा पूर्व के बीच या इससे भी पुरानी हैं.’
स्वर्णकार ने बताया कि इससे पहले सहारनपुर के सकटपुर, मुरादाबाद के मदारपुर और सैफई जिले में इसी तरह की वस्तुएं खोजी गई हैं.
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