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Friday, 22 November, 2024
होमदेशलखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को SC से 8 हफ्ते की मिली जमानत, UP-दिल्ली से बाहर रहना होगा

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को SC से 8 हफ्ते की मिली जमानत, UP-दिल्ली से बाहर रहना होगा

कोर्ट ने कहा है कि जमानत अवधि के दौरान आशीष मिश्रा को पुलिस को रोज रिपोर्ट करनी होगी. साथ ही जमानत अवधि के दौरान वह मामले से जुड़े किसी भी गवाह से नहीं मिलेगा.

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नई दिल्ली: लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी को फैसले को सुरक्षित रख लिया था. आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया जिसमें आशीष मिश्रा को आठ हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत दी गई है.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की कुछ शर्तें भी रखी हैं. कोर्ट के फैसले के मुताबिक आशीष मिश्रा को जमानत अवधि के दौरान दिल्ली और उत्तरप्रदेश से बाहर रहना होगा. कोर्ट ने यह भी कहा है कि आशीष मिश्रा को हर दिन पुलिस के पास रिपोर्ट करनी होगी और जमानत अवधि के दौरान वह मामले से जुड़े किसी भी गवाह से नहीं मिलेगा. साथ ही आशीष मिश्रा को अपने लोकेशन के बारे में कोर्ट को जानकारी देती रहनी होगी. कोर्ट ने मामले के 4 अन्य आरोपियों को भी अंतरिम जमानत दी है. कोर्ट में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने यह फैसला सुनाया. 

लखीमपुर हिंसा मामले में दोषी

3 अक्टूबर 2021 को उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक हिंसा हो गई थी जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी. दरअसल उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लखीमपुर में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे जहां किसान संगठनों ने तीन कृषि कानून को लेकर उनका विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इस दौरान हिंसा भड़क उठी जिसमें चार किसान और चार अन्य लोगों की मृत्यु हो गई. बाद में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर यह आरोप लगा कि उन्होंने अपनी एसयूवी से किसानों को रौंदा.

इस घटना के बाद एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकर्ताओं को गुस्साए किसानों ने कथित रूप से पीट-पीट कर मार डाला था. हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.

इसी मामले में आशीष मिश्रा जेल में बंद हैं. बीते जुलाई में आशीष मिश्रा की जमानत याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी. इससे पहले फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से आशीष मिश्रा को जमानत मिल गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले न्यायालय को पीड़ित पक्ष को पर्याप्त मौका देना चाहिए.


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