नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 2013 के बलात्कार मामले में जेल में बंद आसाराम को मंगलवार को चिकित्सा आधार पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने आसाराम को रिहाई के बाद अपने अनुयायियों से समूह में नहीं मिलने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि 86 वर्षीय आसाराम हृदय रोग के अलावा उम्र संबंधी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने याचिकाकर्ता से संबंधित चिकित्सा रिकॉर्ड और इस तथ्य पर भी ध्यान दिया है कि उसे जेल के बाहर समय-समय पर उपचार दिया गया था। इसलिए, हम याचिकाकर्ता को 31 मार्च, 2025 तक चिकित्सा आधार पर जमानत देना उचित समझते हैं…बशर्ते याचिकाकर्ता अपने अनुयायियों से समूह में नहीं मिलेंगे।’’
हालांकि, आसाराम जेल में ही रहेंगे, क्योंकि उन पर जोधपुर में एक और बलात्कार का मामला चल रहा है।
अदालत ने कहा कि वह याचिका पर गुण-दोष के आधार पर विचार नहीं करेगी, बल्कि केवल चिकित्सा आधार पर विचार करेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के आसपास पुलिस अधिकारियों के रूप में तीन सुरक्षाकर्मी मौजूद रहेंगे। हम यह स्पष्ट करते हैं कि पुलिसकर्मी याचिकाकर्ता के चिकित्सा उपचार, किसी व्यक्ति से उसकी मुलाकात और सामान्य या वैध आचरण में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।’’
आसाराम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि उनके मुवक्किल की स्वास्थ्य स्थिति नाजुक है।
उन्होंने कहा कि आसाराम को इलाज के लिए तेरह से अधिक बार जेल में लाया- ले जाया गया और यहां तक कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी उसकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए पैरोल दी थी।
राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आसाराम को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया और कहा कि हालांकि बीमारी और उसकी उम्र पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन आसाराम का जेल के अंदर इलाज किया जा सकता है।
मेहता ने कहा कि मामले में तीन गवाहों की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि आसाराम के पास सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की क्षमता और धन भी उपलब्ध है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘वह जीवन के आखिरी पड़ाव में हैं। अपराध की प्रकृति चाहे जो भी हो, जब दोषी के स्वास्थ्य का मामला हो तो यह सरकार और इस अदालत के लिए चिंता करने वाली बात है।’’
न्यायालय ने 2023 में गांधीनगर की एक अदालत द्वारा आसाराम को दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने की उसकी याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच केवल चिकित्सा आधार पर करेगा।
गुजरात उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त 2024 को आसाराम की सजा निलंबित करने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि उसे राहत देने का कोई मामला नहीं बनता है।
निचली अदालत ने 2013 के एक मामले में आसाराम को जनवरी 2023 में दोषी ठहराया था। यह मामला एक महिला ने दर्ज कराया था जो कथित अपराध के समय गांधीनगर के निकट उसके आश्रम में रहती थी।
आसाराम वर्तमान में बलात्कार के एक अन्य मामले में राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद है।
भाषा सुरेश पवनेश
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