गुवाहाटी, 10 फरवरी (भाषा) गौहाटी उच्च न्यायालय ने असम में पुलिस मुठभेड़ों के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति को राज्य सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार ने अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि मुठभेड़ों में कानूनी प्रक्रिया और राष्ट्रीय मानवाधिकार के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को 10 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई अब 21 फरवरी को होगी।
अदालत ने मई, 2021 में भाजपा के राज्य की सत्ता में आने के बाद से असम में हुई पुलिस मुठभेड़ों पर 11 जनवरी को सरकार को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने अपना जवाबी हलफनामा सात फरवरी को दाखिल किया।
असम के महाधिवक्ता देवजीत लोन सैकिया ने पीटीआई/भाषा को बताया, ‘‘विपक्षी दल ने हमारे हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। अदालत ने उनके अनुरोध पर समय दिया है और सुनवाई की अगली तारीख 21 फरवरी तय की है।’’
सरकार ने हलफनामे में कहा है कि पुलिस मुठभेड़ के सभी मामलों में कानूनी प्रक्रिया और एनएचआरसी द्वारा तय दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है।
सरकार ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के 10 मई, 2021 को मुख्यमंत्री बनने के बाद से 28 जनवरी, 2022 तक पुलिस मुठभेड़ों में 28 लोगों की मौत हुई है जबकि 73 लोग घायल हुए हैं।
हलफनामे के अनुसार, राज्य के 27 जिलों में पुलिस मुठभेड़ की घटनाएं हुई हैं और सबसे ज्यादा 10 लोगों की मौत कार्बी आंगलोंग जिले में हुई है। वहीं गुवाहाटी शहर में सबसे ज्यादा नौ लोग घायल हुए हैं।
असम सरकार के अलावा राज्य पुलिस के महानिदेशक, कानून और न्याय विभाग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और असम मानवाधिकार आयोग को वकील आरिफ मोहम्म्द यासिन जवाद्देर की जनहित याचिका में पक्षकार बनाया गया है।
भाषा अर्पणा अनूप
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