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Saturday, 18 May, 2024
होमदेशमोदी के ह्यूस्टन पहुंचते ही पेट्रोनेट का एलएनजी के लिए अमेरिकी कंपनी से 7.5 अरब डॉलर का करार

मोदी के ह्यूस्टन पहुंचते ही पेट्रोनेट का एलएनजी के लिए अमेरिकी कंपनी से 7.5 अरब डॉलर का करार

पेट्रोनेट का टेलुरियन के साथ हुआ करार शेल गैस निर्यात को लेकर अमेरिका में हुआ सबसे बड़ा विदेशी निवेश साबित हो सकता है.

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न्यूयॉर्क : अमेरिकी ऊर्जा कंपनी टेलुरियन ने भारत की पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड के साथ 7.5 अरब डॉलर के करार की घोषणा की है. पेट्रोनेट शेल गैस के निर्यात को लेकर हुए अमेरिका में इस संभवत: सबसे बड़े विदेशी निवेश के तहत  लुज़ियाना में टेलुरियन के प्रस्तावित लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) टर्मिनल में हिस्सेदारी हासिल करेगी.

पेट्रोनेट 28 अरब डॉलर की ड्रिफ्टवुड एलएनजी टर्मिनल परियोजना में 2.5 अरब डॉलर का निवेश कर 18 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करेगी, जो कि परियोजना में अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी है. इसके एवज में कंपनी सालाना 50 लाख टन प्राकृतिक गैस खरीद सकेगी. टेलुरियन की सीईओ मेग जेन्टल ने कहा कि परियोजना के लिए शेष धन कर्ज के रूप में जुटाया जाएगा.

दोनों कंपनियों की 31 मार्च तक इस करार को पूरा करने की योजना है. टेलुरियन को उम्मीद है कि तब तब उसे और भी साझेदार मिल जाएंगे और परियोजना का काम शुरू हो सकेगा.

टेलीफोन पर साक्षात्कार में जेंटल ने कहा, ‘हम अगले साल की पहली तिमाही में दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करेंगे और साथ-साथ ही हमारे पास धन भी उपलब्ध होगा, और फिर हम निर्माण का कार्य शुरू कर देंगे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘भारत एलएनजी के सर्वाधिक तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों में से है और शीघ्र ही वो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक बन सकता है.’

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ह्यूस्टन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हुआ ये करार साबित करता है कि अमेरिकी एलएनजी उद्योग के लिए ये शानदार साल रहा है, जब अरबों डॉलर की निर्यात परियोजनाओं को हरी झंडी दी गई. अमेरिका में शेल गैस के उत्पादन में आई तेज़ी के कारण कभी सीमित मात्रा में मिलने वाला ये ऊर्जा उत्पाद अब भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी उपलब्ध हो गया है. भारत इस समय अमेरिकी एलएनजी का छठा सबसे बड़ा खरीदार है.

टेलुरियन के सह संस्थापक शरीफ सौकी ने इस बारे में कहा, ‘इस करार पर किसी को अचरज नहीं होना चाहिए. अमेरिका और भारत की समस्याएं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. हमारे पास इतनी अधिक गैस है कि हमें पता नहीं कि उसका क्या करें, जबकि भारत को भारी मात्रा में गैस की ज़रूरत है, और एक बार में 10 लाख टन से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है.’


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पेट्रोनेट का करार अमेरिकी एलएनजी को लेकर किसी भारतीय कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा सौदा है. ये गैस उद्योग के लिए अति महत्वपूर्ण गैसटेक सम्मेलन के कुछ ही दिनों बाद और मोदी की बहुप्रतीक्षित टेक्सस यात्रा के दौरान हुआ है. मोदी रविवार को ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में 50,000 से अधिक लोगों की एक सभा को संबोधित कर रहे हैं.

पेट्रोनेट का निवेश किसी विदेशी कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा निवेश साबित हो सकता है. इसी स्तर के एक सौदे पर सेंप्रा एनर्जी और सऊदी अरामको के बीच टेक्सस में बातचीत चल रही है.

जेंटल ने कहा कि टेलुरियन को ड्रिफ्टवुड परियोजना के पहले चरण के लिए आवश्यक अंतिम 40 लाख टन गैस पर अगले कुछ महीनों में एक या दो संभावित साझेदारों के साथ समझौते हो जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पेट्रोनेट की हिस्सेदारी ड्रिफ्टवुड परियोजना के कार्यकाल के दौरान सालाना 2 अरब डॉलर की ईंधन बिक्री के समतुल्य है.

सौकी ने कहा कि ये परियोजना ड्रिलिंग और पाइपलाइन उद्योगों का समर्थन करती है और इसमें भारी मात्रा में संसाधनों का इस्तेमाल होगा.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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