ईटानगर, 11 मार्च (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार अरुणाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (एपीएफआरए), 1978 के नियम तैयार करने से पहले विभिन्न धार्मिक समूहों के सदस्यों की एक समिति बनाएगी व उनके विचार जानेगी।
अरुणाचल विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधायकों ने इस अधिनियम के बारे में चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि यह अधिनियम राज्य को धार्मिक आधार पर विभाजित कर सकता है। इस पर खांडू ने सदन को सूचित किया कि सरकार जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेगी और तदनुसार कार्य करेगी।
उन्होंने बताया कि सरकार 46 साल पुराने अधिनियम के लिए नियमों का मसौदा तैयार कर रही है। यह अधिनियम गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा निष्प्रभावी करार दिया गया था और सितंबर 2024 में न्यायालय ने छह महीने के भीतर इसके लिए नियम तैयार करने का निर्देश दिया था।
स्थानीय निवासी ताम्बो तामिन द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद अदालत ने यह आदेश जारी किया था।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में आश्वासन दिया कि सरकार धार्मिक समूहों के साथ विचार-विमर्श के लिए पर्याप्त समय देने हेतु अदालत से समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम समयसीमा बढ़ाने के लिए अपील करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि संतुलित और समावेशी दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए सभी धार्मिक समुदायों के सुझावों पर विचार किया जाए।’’
खांडू ने जोर देते हुए कहा कि इस अधिनियम के नियमों का उद्देश्य किसी खास धर्म को लक्षित करना नहीं है, चाहे वह बौद्ध, हिंदू, ईसाई या मुस्लिम हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि अधिनियम न तो किसी धर्म के पक्ष में है और न ही उसके खिलाफ है।
भाषा प्रीति पवनेश
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