नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने घोषणा की कि आजादी से पहले स्थापित राज्य के सभी सरकारी स्कूलों को ‘हेरिटेज स्कूल’ घोषित किया जाएगा और परिसर के भीतर एक संग्रहालय के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
पासीघाट के पास सरकारी माध्यमिक विद्यालय, बालेक के प्लैटिनम जुबली समारोह के आयोजकों द्वारा स्कूल को हेरिटेज स्कूल घोषित करने के अनुरोध के बाद सीएम ने यह घोषणा की.
1946 में लोअर प्राइमरी स्कूल के रूप में स्थापित, सरकारी माध्यमिक विद्यालय, बालेक, अपनी प्लेटिनम जुबली मना रहा है.
मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा, “यह मेरे सामने आए सबसे अच्छे अनुरोधों में से एक है. न केवल इस स्कूल को बल्कि राज्य के सभी स्वतंत्रता-पूर्व सरकारी स्कूलों को अपने समृद्ध इतिहास को प्रदर्शित करने वाले एक संग्रहालय के साथ हेरिटेज स्कूल घोषित किया जाएगा.”
एक अन्य अनुरोध पर, खांडू ने पूर्वी सियांग के स्कूल शिक्षा उप निदेशक (डीडीएसई) को स्कूल को उच्च माध्यमिक विद्यालय में अपग्रेड करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सरकार को एक औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
खांडू ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है. स्कूल की 75 साल की यात्रा इस तथ्य को देखते हुए एक बड़ा मील का पत्थर है कि अरुणाचल प्रदेश का जन्म 1972 में एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में हुआ था और 1987 में यह एक पूर्ण राज्य बन गया.”
75 वर्षों की अपनी लंबी यात्रा में कई दिग्गजों को पैदा करने के लिए स्कूल की सराहना करते हुए उन्होंने उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिनका निधन हो चुका है और जो लोग विभिन्न पदों पर सेवा कर रहे हैं और जो सेवानिवृत्त हो गए हैं.
खांडू ने कहा कि आजादी से पहले स्थापित 3-4 स्कूलों में से, अरुणाचल प्रदेश में आज पूरे राज्य में 3000 से अधिक सरकारी स्कूल हैं.
उन्होंने कहा, “हमें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, खासकर शिक्षा क्षेत्र में, लेकिन हमने अपनी प्रगति को स्थिर बनाए रखा है.”
हालांकि, उन्होंने “इसकी संख्या बढ़ाने से के बजाय गुणवत्ता” पर जोर दिया.
शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान
उन्होंने कहा, “हमने इन स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दिए बिना एक के बाद एक स्कूल स्थापित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है.”
खांडू ने राज्य में उचित बुनियादी ढांचे और जनशक्ति के बिना बड़ी संख्या में स्कूलों के लिए “तुष्टिकरण की राजनीति” को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार राजनीतिक तुष्टीकरण में नहीं बल्कि योजनाओं और परियोजनाओं की गुणवत्ता में विश्वास करती है.
उन्होंने कहा, “हमने शिक्षा को बहुत गंभीरता से लिया है. वास्तव में, हमने शून्य उपस्थिति वाले लगभग 400 सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया है. प्रक्रिया अभी भी जारी है. हमें और अधिक स्कूलों की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हमें मौजूदा स्कूलों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता है जिसके लिए सरकार पूरा समर्थन दे रही हैं.”
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों की मैपिंग के लिए शिक्षा विभाग को पहले ही निर्देश दे दिया है ताकि सरकार प्रत्येक स्कूल पर एक टैग रख सके.
स्कूलों के समुचित कामकाज और विकास में स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) के महत्व को दोहराते हुए, उन्होंने राज्य के प्रत्येक स्कूल के एसएमसी सदस्यों को नियमित रूप से शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के साथ बातचीत करने और फिर संबंधित डीडीएसई को रिपोर्ट सौंपने की सलाह दी.
तीन दिवसीय प्लेटिनम जुबली समारोह का जिक्र करते हुए खांडू ने स्कूल के पूर्व छात्रों से अपनी चर्चाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विषय उठाने का आग्रह किया.
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