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रविवार, 11 मई, 2025
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मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं पर रिपोर्ट के बाद कलाकारों ने बदलाव के लिए आवाज उठाई

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नयी दिल्ली/तिरुवनंतपुरम, 21 अगस्त (भाषा) सिनेमा जगत में महिलाओं के शोषण का मामला आमतौर पर सामने नहीं आता है, लेकिन मलयालम सिनेमा पर एक रिपोर्ट के माध्यम से यह अत्यंत आवश्यक चर्चा का विषय बन गया है। मनोरंजन उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि वे बदलाव की उम्मीद तो कर रहे हैं, लेकिन निकट भविष्य में ऐसा होता नहीं लग रहा।

न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट मलयालम सिनेमा उद्योग में सत्ता के गठजोड़ का विवरण देती है और यह महिलाओं के सामने आने वाले शोषण के विभिन्न स्तर को उजागर करती है। यह भारत में किसी भी फिल्म उद्योग के लिए संभवत: पहली ऐसी रिपोर्ट है।

वर्ष 2017 में एक अभिनेत्री के उत्पीड़न को लेकर अभिनेता दिलीप से जुड़े मामले के बाद यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों का अध्ययन करने के लिए केरल सरकार ने समिति का गठन किया था। इस समिति की 233 पन्नों की रिपोर्ट इसी सप्ताह जारी की गई।

रिपोर्ट ‘मलयालम उद्योग का इतिहास’ पांच साल से लंबित थी। इस रिपोर्ट ने कई लोगों को हैरत में डाल दिया है। हिंदी फिल्म उद्योग सहित कई प्रमुख हितधारक इस मुद्दे पर बोलने से कतराते रहे, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि यह महिलाओं के संबंध में खतरनाक स्थितियों को रेखांकित करती है।

अभिनेता और कास्टिंग डायरेक्टर अभिषेक बनर्जी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मलयालम उद्योग में जो कुछ हुआ, वह सुनकर बहुत डर लगता है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मैं सभी महिला कलाकारों से अपील करता हूं कि सुरक्षा और सम्मान से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।’’

‘स्त्री-2’ और ‘पाताल लोक’ में काम कर चुके बनर्जी ने कहा कि जब उन्होंने शुरुआत की थी, तो उन्हें अक्सर ‘कास्टिंग काउच’ के बारे में कहानियां सुनने को मिलती थीं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि उनकी कंपनी का नियम है कि कलाकारों विशेष रूप से महिलाओं का ऑडिशन केवल कार्यालय में ही लिया जाता है, न कि कॉफ़ी शॉप या होटल में।

कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर जन आक्रोश के बीच न्यायमिर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है। अपने गृहनगर में हुई इस नृशंस घटना से व्यथित बांग्ला अभिनेत्री दितिप्रिया रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार और हिंसा हर जगह रुकनी चाहिए।

केरल सरकार ने ‘वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ (डब्ल्यूसीसी) के प्रयासों के बाद न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन किया था।

मलयालम सिनेमा की एक प्रमुख निर्देशक और पटकथा लेखक तथा डब्ल्यूसीसी की संस्थापक सदस्य, फिल्म निर्माता अंजलि मेनन के अनुसार, यह रिपोर्ट मनोरंजन उद्योग के भीतर प्रतिकूल सत्ता संरचनाओं को खत्म करने की दिशा में पहला कदम है।

मेनन ने कहा, ‘‘इससे चीजों को ठीक करने और अधिक समान प्रगतिशील स्थान की ओर बढ़ने का अवसर मिलता है।’’ उन्होंने कहा कि यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि सरकार ने महिलाओं की आवाज सुनी।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि अन्य उद्योगों में भी ऐसी ही चीजें होती हैं, लेकिन उनके बारे में बात नहीं की जाती। केरल में हमने महिलाओं के समूह के गठन के साथ-साथ इस संबंध में सरकार की कार्रवाई से मिसाल कायम की है…।’’

बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा अभिनेता नाना पाटेकर पर लगाए गए आरोपों के बाद 2018 में भारत में ‘मी टू’ मुहिम की शुरुआत हुई थी। अभिनेत्री ने रिपोर्ट को एक और बेकार की कवायद बताकर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह अभी भी मामले के लिए लड़ रही हैं।

दत्ता ने कहा, ‘‘मैं केरल की पीड़िता के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं… इन रिपोर्ट से कुछ नहीं होगा क्योंकि महिलाओं पर अभी भी हमले और शोषण जारी हैं। इस देश में यह मायने नहीं रखता कि आप कौन हैं…चाहे वह मिस इंडिया हो, या अभिनेत्री, या शिक्षित या कुशल व्यक्ति, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’’

समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के एक दिन बाद, प्रसिद्ध मलयालम अभिनेता थिलकन की पुत्री सोनिया थिलकन ने यौन उत्पीड़न की अपनी आपबीती सुनाई।

मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने उद्योग के भीतर एक ‘‘पावर ग्रुप’’ का जिक्र किया जो लंबे समय से मलयालम फिल्म जगत और एएमएमए (मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन) को नियंत्रित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि उनके दिवंगत पिता को मुखर होने के कारण एएमएमए से बाहर कर दिया गया था।

सोनिया ने कहा कि एक अग्रणी अभिनेता ने उनके पिता और एएमएमए के बीच विवाद को सुलझाने के बहाने उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने जो संदेश भेजे, उनसे उनके इरादे स्पष्ट हो गए।

अभिनेता की पहचान बताने के लिए पूछे जाने पर सोनिया ने कहा कि वह बाद में बताएंगी। अभिनेत्री ने कहा, ‘‘मैंने यह खुलासा अब उन महिलाओं के साथ एकजुटता में किया है जिन्होंने हेमा समिति के समक्ष बयान दिया था।’’

अदाकारा-फिल्मकार और डब्ल्यूसीसी की संस्थापक सदस्य रेवती ने रिपोर्ट के जारी होने को ‘‘ऐतिहासिक क्षण’’ बताया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘हमारा काम अब सही मायने में शुरू होता है…इसकी सिफारिशों को पढ़ना, समझना और लागू करने की दिशा में काम करना। डब्ल्यूसीसी की सदस्य के तौर पर मैं उन सभी का शुक्रगुजार हूं जो इस रिपोर्ट का सही मतलब समझते हैं। हमें उम्मीद है कि हम उस उद्योग की सुरक्षा और बेहतरी के लिए प्रयास करना जारी रखेंगे जिसने हम सभी को समाज में एक पहचान दी है।’’

कन्नड अभिनेता ऋषभ शेट्टी ने कहा कि अपनी अगली फिल्म की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण उन्होंने रिपोर्ट नहीं पढ़ी है, लेकिन वह फिल्म उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा के पक्ष में हैं।

शेट्टी की फिल्म ‘कांतारा’ ने पिछले सप्ताह दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। शेट्टी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं पिछले 20 वर्षों से उद्योग में काम कर रहा हूं और जिन लोगों ने मेरे साथ काम किया है, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि वे सुरक्षित महसूस करें। लेकिन महिलाओं को सभी क्षेत्रों में उत्पीड़न और अन्य मुद्दों का सामना करना पड़ता है, चाहे वह फिल्म, मीडिया या आईटी हो।’’

अभिनेता ने कहा, ‘‘हम हमेशा सचेत रहते हैं कि हमारे सेट पर काम करने वाली महिलाएं सुरक्षित महसूस करें और अगर उन्हें किसी भी मुद्दे का सामना करना पड़ता है तो वे खुलकर बात कर सकती हैं।’’

मलयालम अभिनेता टोविनो थॉमस ने कहा कि न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट ‘मी टू’ मुहिम की तरह, महिलाओं को अपनी बात कहने के लिए आगे आने में मदद करेगी।

भाषा आशीष वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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