गुरुग्राम: इस प्रकरण की शुरुआत एक फोन कॉल से हुई, जिसके बाद व्हाट्सऐप पर ‘एफआईआर’ और ‘गिरफ्तारी वारंट’ की कॉपियां शेयर की गईं. 75-वर्षीय विनोद चौधरी को शायद ही पता था कि इस ‘मनी लॉन्ड्रिंग जांच’ के अंत तक, ‘कानून के नाम पर’ उनसे 1.78 करोड़ रुपए ठगे जा चुके होंगे.
हरियाणा के सोनीपत में पुलिस ने एक स्थानीय निवासी के मामले की जांच शुरू की है, जिसने आरोप लगाया है कि साइबर अपराधियों ने उन्हें और उनकी पत्नी को बहकाया, उन्हें दो दिनों तक एक होटल में रहने के लिए मज़बूर किया — जबकि उनके फोन कैमरे के माध्यम से उन पर ‘निगरानी’ रखी गई — और एक करोड़ रुपये से अधिक की धन उगाही की.
एफआईआर के अनुसार, जालसाजों ने चौधरी को ‘वेरिफिकेशन’ के लिए “सरकारी खातों” में पैसे ट्रांसफर करने का निर्देश दिया, लेकिन कहा गया कि खाते फर्ज़ी निकले, जो फर्ज़ी नामों से बनाए गए थे. चौधरी ने कहा कि उन्होंने 14 से 20 नवंबर के बीच इन खातों में आरटीजीएस के जरिए 1.78 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे.
सोनीपत में साइबर सेल पुलिस स्टेशन के प्रभारी सब-इंस्पेक्टर कमल सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि पुलिस ने चौधरी की शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत सोमवार को एफआईआर दर्ज की. उन्होंने पुष्टि की कि मामले की जांच चल रही है.
जब दिप्रिंट ने उनसे संपर्क किया, तो चौधरी ने कहा कि वह इस समय इस मामले पर चर्चा करने की स्थिति में नहीं हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह एक कारोबारी हैं जो रिटायरमेंट के बाद सोनीपत में बस गए थे.
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई एफआईआर के अनुसार, चौधरी ने कहा कि उन्हें पहली बार 6 नवंबर को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया था. दूसरी तरफ से व्यक्ति ने पुलिस अधिकारी होने का दावा किया और चौधरी से कहा कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सामने आया है. केस फाइल में उनका नाम “अशोक गुप्ता” होने का दावा करते हुए, जालसाज ने चौधरी के साथ एक एफआईआर नंबर साझा किया और कहा कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.
फर्ज़ी एफआईआर और गिरफ्तारी वारंट की प्रतियां व्हाट्सएप पर साझा की गईं.
चौधरी ने कहा कि वह एक रिश्तेदार की मौत के बाद फरीदाबाद में थे, जब उन्हें कॉल आया और उन्होंने कॉल करने वाले को बताया कि वह 11 नवंबर को सोनीपत लौट आएंगे. 12 नवंबर को, उन्हें दूसरा फोन आया, जिसके दौरान जालसाजों ने उन्हें धमकाया और उनके बैंक खाते की डिटेल्स मांगी.
13 नवंबर को, उनसे उनके दैनिक रूटिंग की विस्तृत जानकारी लिखित में साझा करने के लिए कहा गया — जो उन्होंने किया. 14 से 20 नवंबर के बीच चौधरी ने निर्देशानुसार कई खातों में 1.78 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए.
लेकिन इसके बाद जालसाजों ने 16 नवंबर को उनकी पत्नी को व्हाट्सएप पर कॉल किया और उनके बैंक खाते की डिटेल्स मांगी.
इसके बाद जालसाजों ने दंपति को “सुरक्षा चिंताओं” के कारण अपना घर छोड़ने और एक होटल में रहने के लिए मजबूर किया. 17 नवंबर को चौधरी और उनकी पत्नी सोनीपत के मामा भांजा चौक के पास एक होटल में ठहरे. उनके ठहरने के दौरान जालसाजों द्वारा वीडियो कॉल के जरिए लगातार उन पर नज़र रखी जा रही थी.
1.78 करोड़ रुपये की ठगी के बाद चौधरी को एहसास हुआ कि उन्हें और उनकी पत्नी को परेशान करने वाले असली पुलिस वाले नहीं थे. एसआई कमल सिंह ने बताया कि इसके बाद उन्होंने रविवार को पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई.
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