मुंबई, 30 मई (भाषा) पुणे में पोर्श कार दुर्घटना मामले में गिरफ्तार डॉक्टर अजय तावड़े पर एक सेवानिवृत्त सीमाशुल्क आयुक्त ने पांच साल पहले वैवाहिक विवाद में अपनी बहू की लिंग जांच रिपोर्ट में हेरफेर करने का आरोप लगाया है।
सैसून जनरल अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख तावड़े और दो अन्य को पुणे के कल्याणी नगर में पोर्श कार से बाइक सवार दो लोगों को कुचलने के आरोपी नाबालिग के रक्त नमूनों को बदलने के आरोप में इस सप्ताह की शुरुआत में गिरफ्तार कर लिया गया था।
सेवानिवृत्त सीमाशुल्क अधिकारी ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में दावा किया कि यह डॉक्टर अलग रह रही उनकी बहू की लिंग परीक्षण रिपोर्ट के हेरफेर में शामिल था।
पूर्व अधिकारी ने कहा कि उन्होंने तावड़े और अन्य के खिलाफ भारतीय चिकित्सा परिषद तथा महाराष्ट्र के मुख्य सचिव के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने बताया कि उनके बेटे की शादी 2013 में हुई थी, लेकिन उनकी बहू ने पति के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार कर दिया था।
पूर्व अधिकारी ने बताया कि जब उन्होंने बहू के जन्मस्थल औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) में उनके मेडिकल इतिहास और जन्म प्रमाण पत्र की जांच कराई, तो उन्हें पता चला कि 1984 में बहू का जन्म एक ‘पुरुष’ के रूप में हुआ था।
उन्होंने कहा कि 10 साल बाद, नगर निगम ने एक नया जन्म प्रमाण-पत्र जारी किया, जिसमें बहू का लिंग ‘महिला’ का बताया गया।
उन्होंने कहा कि बहू ने परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया और मामला अंधेरी की एक अदालत में पहुंचा।
साल 2018 में अदालत ने महिला का लिंग परीक्षण कराने का आदेश दिया था।
उन्होंने बताया कि यह परीक्षण पुणे के सैसून अस्पताल में किया गया था और डॉ. तावड़े की सदस्यता वाले एक मेडिकल पैनल ने फरवरी 2019 में रिपोर्ट दी थी कि वह “लक्षणों और जीन के हिसाब से महिला” है।
उन्होंने दावा किया कि यह परीक्षण पुणे में नहीं, बल्कि औरंगाबाद में किया जाना चाहिए था और डॉ. तावड़े ने रिपोर्ट में हेराफेरी की।
पूर्व आयुक्त ने कहा, “अगर कार दुर्घटना का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया जाता है, तो मैं डॉ. तावड़े और अन्य के खिलाफ सभी सबूत पेश करूंगा।”
भाषा
जोहेब सुरेश
सुरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.