प्रयागराज, तीन जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपहरण के एक मामले में संगीतकार सुनील यादव की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यादव के खिलाफ प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि उसने जिस लड़की को अपने एलबम के लिए अनुबंधित किया था, बाद में उसका अपहरण कर लिया।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने पीड़िता की बहन और शिकायतकर्ता सुष्मिता यादव को नोटिस जारी किया।
मामले के तथ्यों के मुताबिक, सुष्मिता की बहन अनुपमा यादव याचिकाकर्ता सुनील यादव से प्रेम करती थी और दोनों अप्रैल में विवाह करने जा रहे थे, जिसकी वजह से सुष्मिता ने सुनील पर भरोसा किया।
आरोप है कि 19 फरवरी, 2025 को सुनील उनके घर आया और कहा कि उन्हें शादी के संबंध में खरीदारी के लिए नेपाल जाना है। वह अनुपमा को स्कॉर्पियो गाड़ी में अपने साथ ले गया।
आरोप है कि दो घंटे बाद अनुपमा ने अपने भाई सूर्य कुमार यादव को फोन किया कि सुनील उसे नेपाल नहीं ले जा रहा, बल्कि बिहार ले जा रहा है। तब से अनुपमा का मोबाइल बंद रहा।
बाईस फरवरी, 2025 को सुबह नौ बजे सुनील यादव ने बताया कि अनुपमा उसके साथ नहीं है। सुष्मिता को शक है कि सुनील ने उसकी बहन को या तो कहीं बेच दिया या फिर उसकी हत्या कर दी।
वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि सुष्मिता यादव और उसकी बहन अनुपमा यादव अन्य लोगों के साथ मिलकर एक रैकेट चला रही हैं और भोले भाले लोगों को फंसाकर उनसे धन उगाही करती हैं।
सुनील के वकील ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता एलबम बनाने का काम करता है और अनुपमा के अनुरोध पर उसने अपने एलबम में उसे भूमिका निभाने का अवसर दिया और छह-सात लाख रुपये भी दिए, लेकिन जब अनुपमा को एलबम में काम करने या पैसा लौटाने को कहा गया तो सुष्मिता ने अपहरण की मनगढ़ंत कहानी बनाई और इस मामले में सुनील को फंसा दिया।
संबंधित पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 27 मई के अपने आदेश में कहा कि इस मामले पर विचार किए जाने और गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की जरूरत है। हालांकि याचिकाकर्ता इस मामले में चल रही जांच में सहयोग करेंगे।
भाषा राजेंद्र सुरेश
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