हरिद्वार, 22 नवंबर (भाषा) भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने हरिद्वार में गंगा किनारे घने जंगल, झिलमिल झील के निकट पहाड़–नदी–मैदान के अद्भुत भूगोल में अब तक का सबसे आक्रामक और आधुनिक सैन्य युद्धाभ्यास किया।
इस अवसर पर कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एम के कटियार ने शुक्रवार को कहा कि इस अभ्यास को देखकर भी देश का दुश्मन कोई गलत हरकत करता है तो उसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भी अधिक करारा जवाब दिया जाएगा।
करीब एक माह तक चले युद्धाभ्यास ‘रैम प्रहार’ के शनिवार को संपन्न होने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने संवाददाताओं को बताया कि पहली बार हरिद्वार में इस युद्धाभ्यास को किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस अभ्यास को देखकर हमारा दुश्मन किसी भी तरह की गलत हरकत नहीं करेगा और अगर इसके बाद भी वह कोई हिमाकत करता है तो उसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भी करारा जवाब दिया जाएगा।
लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने कहा, ‘भारतीय सेना को अत्याधुनिक बनाना हमारी प्राथमिकता है। हमारा दुश्मन अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग कर रहा है, इसलिए हमें भी प्रौद्योगिकी, आग्नेयास्त्रों को दागने की क्षमता और मैदानी क्षमता, तीनों में पारंगत होना होगा और इसी उद्देश्य से ‘रैम प्रहार’ का आयोजन किया गया है।”
सेना के अधिकारी ने कहा कि यह अभ्यास सैनिकों को जंगल, नदी, पहाड़, रेत और रात की अंधेरी घाटियों जैसी उन सभी परिस्थितियों में युद्ध कौशल सिखाता है जहां दुश्मन छिपा हो सकता है।
दुर्गम इलाके दुधाला दयालवाला में हुए सैन्य अभ्यास में नदी में पानी का सीना चीर कर दौड़ते टैंक, मैदानों, पहाड़ों और रेतीले इलाकों में गरजती तोपें दिखाई दीं जबकि आसमान में दुश्मन को कंपा देने वाले रुद्र और अपाचे जैसे हेलीकॉप्टर की गरज भी सुनाई दी।
इस सैन्य युद्धाभ्यास का उद्देश्य जंगल और पहाड़ में घुसकर कार्रवाई करते हुए दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला और नदी व अन्य बाधाओं को पार करने की क्षमता में सैनिकों को पारंगत करना था।
सेना में कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के इस्तेमाल के सवाल पर कमांडेंट ने कहा कि अभी इसका इस्तेमाल हो रहा है और आगे भी इसको और मजबूती से इस्तेमाल करने की कोशिशें चल रही हैं।
उन्होंने कहा कि आज के समय में युद्ध में हथियारों के साथ-साथ तकनीक का भी इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो रहा है।
लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि तकनीक ने युद्ध की तस्वीर को बदल दिया है अब डिजिटल से लेकर सूचना के क्षेत्र में सब जगह तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है।
युद्धाभ्यास के लिए हरिद्वार को चुने जाने के बारे में लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने बताया कि पाकिस्तान पर हमले के समय नदियों को पार करना एक चुनौती होती है जिसके लिए इस जगह का चुनाव किया गया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सीमा पर रावी और सतलुज जैसी विशाल नदिया हैं जिन्हें पार कर दुश्मन के इलाके में घुसकर उसे पहले तबाह करने और फिर उनके ठिकानों को कब्जे में लेने का आधुनिक प्रशिक्षण किया गया।
उन्होंने कहा कि रैम प्रहार युद्धाभ्यास के लिए हरिद्वार को इसलिए भी चुना गया क्योंकि यहां दुश्मन की जमीन जैसे हालात- जंगल, पहाड़, नदी, रात में तेजी से बदलता तापमान आदि सब कुछ मौजूद है। उन्होंने कहा कि भारत जिन मोर्चों पर संभावित युद्ध के लिए तैयार हो रहा है, वे भी ऐसे ही भू-भाग हैं।
इस बड़े युद्धाभ्यास में 15,000 से अधिक भारतीय सैनिक, थलसेना और वायुसेना के स्पेशल कमांडो यूनिट, लड़ाकू विमान, रुद्र और अपाचे जैसे अटैक हेलीकॉप्टर, भारी तोपें, उन्नत इन्फेंट्री हथियार और अत्याधुनिक डिजिटल युद्ध तकनीक शामिल रही।
भाषा
सं, दीप्ति रवि कांत
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