(कुणाल दत्त)
नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) स्वदेशी उपाय के साथ भविष्य के युद्ध लड़ने के लिए “तकनीकी रूप से बेहतर बल” बनने की अपनी दृष्टि के अनुरूप, ड्रोन से लेकर व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण तक की क्षमताओं को पूरा करने के लिए आपात खरीद के चौथे दौर के तहत सेना द्वारा 7,600 करोड़ रुपये की 49 योजनाओं का अनुबंध किया गया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने यह भी कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए “एक लचीले और अनुकूलक दृष्टिकोण की आवश्यकता है”।
आपात खरीद (ईपी) की पहली तीन किश्तों में 6,600 करोड़ रुपये की 68 योजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए।
रक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने कहा, “चौथी किश्त के तहत, गतिशीलता समाधान से लेकर संचार प्रणाली, ऊर्जा समाधान, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, हथियार और सिमुलेटर, ड्रोन और काउंटर-ड्रोन जैसी क्षमताओं के लिए 7,600 करोड़ रुपये की 49 योजनाओं का अनुबंध किया गया है।”
सेना 2023 को ‘परिवर्तन के वर्ष’ के रूप में मना रही है और “अपनी क्षमताओं में बड़ा उछाल” लाने के लिए कार्यात्मक प्रक्रियाओं को नया आकार देने और फिर से तैयार करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
सूत्रों ने कहा कि यह भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने और एक जीवंत रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के इरादे से ‘आत्मनिर्भरता’ के दृष्टिकोण को साकार करने का नेतृत्व कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आपात खरीद के चौथे दौर के तहत अनुबंधित की जा रही 49 योजनाओं के अलावा, “लगभग 7,000 करोड़ रुपये की 34 योजनाएं खरीद के अंतिम चरण में हैं।”
उन्होंने कहा कि साजो-सामान और नैनो ड्रोन, काउंटर-ड्रोन, लोइटर युद्ध सामग्री, बिना हथियार के हवाई यान या यूएवी-प्रक्षेपित सटीक-निर्देशित मिसाइलें और स्वचालित स्पेक्ट्रम निगरानी प्रणाली जैसी आला प्रौद्योगिकियां खरीदी जा रही हैं।
व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के बारे में विवरण साझा करते हुए, एक सूत्र ने कहा, एक बार विकसित होने के बाद, इसे एक सैनिक द्वारा बुलेट-प्रूफ जैकेट के साथ एकीकृत तरीके से पहना जाएगा और इसमें सेंसर होंगे जिसके माध्यम से हिमस्खलन जैसी आपातकालीन स्थिति में किसी भी सैनिक का पता लगाया जा सकता है, भले ही वह बर्फ में दबा हो।
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