नई दिल्ली: भारतीय सेना के 19,000 से अधिक अग्निवीरों ने देश भर के लगभग 40 केंद्रों में विशेष रूप से तैयार किए गए पाठ्यक्रमों में ट्रेनिंग शुरू कर दी है, जिसमें सिमुलेशन पर काफी ध्यान दिया जाता है.
डिफेंस के सूत्रों ने कहा कि ट्रेनिंग के तरीके और बुनियादी ढांचे को दोहरी जरूरत भविष्य के लिए तैयार सैनिकों और अग्निवीरों की छोटी अवधि की नौकरी को पूरा करने के हिसाब से बनाया गया है.
1 जनवरी से शुरू हुए प्रशिक्षण में बुनियादी और एडवॉन्स दोनों सैन्य कार्यक्रम शामिल हैं जिन्हें 24 से 31 सप्ताह के मानक के अनुसार बनाया गया है.
सूत्रों ने कहा, ‘विभिन्न हथियारों और उपकरणों पर प्रशिक्षण के लिए बड़ी संख्या में सिमुलेटर स्थापित किए जा रहे हैं, सभी प्रशिक्षण केंद्रों में संभावित चोटों के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और स्पोर्ट्स मेडिसिन व फिजियोथेरेपी में विशेषज्ञों की नियुक्ति ऐहतियाती तौर पर की जा रही है.
अग्निवीरों को आवंटित केंद्र में प्रशिक्षण के बाद सात सप्ताह के ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण (ओजेटी) से गुजरना होगा.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रों में दिए जाने वाले प्रशिक्षण के अलावा, जो कि पहला चरण है, दूसरा चरण उस इकाई में होगा जिसमें एक अग्निवीर को चार साल के रोजगार के लिए एनरोल किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि टास्क, ट्रेनिंग कैलेंडर और ऑपरेशनल ड्यूटी संगठन और देश के प्रति वफादारी और कर्तव्य की भावना को लागू करेंगे.
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के तीसरे चरण में साथियों, वरिष्ठ एनसीओ/जेसीओ (गैर-कमीशन अधिकारी/जूनियर कमीशन अधिकारी) और (अन्य) अधिकारियों के साथ बातचीत शामिल होगी, जो एक अग्निवीर के व्यक्तित्व में इजाफा करेगी और उसे एक सेना को जीवनशैली के रूप में अनुभव करने में सक्षम बनाएगी.
एक सूत्र ने कहा, “ये सभी स्तर यह सुनिश्चित करेंगे कि एक अग्निवीर को उसके चार साल की नौकरी में पर्याप्त अनुशासन और नैतिकता सिखाई जाए.”
अग्निपथ योजना
केंद्र ने पिछले साल जून में अग्निपथ योजना शुरू की थी, जिसने सशस्त्र बलों के लिए भर्ती प्रक्रिया में भारी बदलाव किया था. इस योजना के तहत साढ़े 17 वर्ष से लेकर 21 वर्ष तक के युवाओं को चार वर्ष की अवधि के लिए सिपाहियों (अग्नीवीर) के रूप में भर्ती किया जाएगा.
जबकि सभी अग्निवीरों को चार साल के बाद नियमित कैडर में एनरोल करने का विकल्प दिया जाएगा, प्रत्येक बैच से केवल 25 प्रतिशत को ही उनकी सेवा अवधि पूरी करने के बाद बनाए रखा जाएगा. अग्निवीर अखिल भारतीय और सभी वर्ग के होंगे, और विशिष्ट प्रतीक चिन्ह के अलावा सशस्त्र बलों में एक अलग रैंक बनाएंगे.
40,000 अग्निवीरों का चयन करने के लिए देश भर में सेना द्वारा कुल 96 भर्ती रैलियां आयोजित की गईं. 21,000 से अधिक चुने गए अग्निवीरों का दूसरा बैच 1 मार्च से प्रशिक्षण शुरू करेगा. सूत्रों ने कहा कि बाद के बैचों को हर साल मई और नवंबर में शामिल किया जाएगा.
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