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Tuesday, 5 November, 2024
होमदेश‘क्या हम भारत का हिस्सा हैं?’ — मणिपुर हिंसा को लेकर ‘मोदी के मौन’ पर नाटककार रतन थियम ने उठाए सवाल

‘क्या हम भारत का हिस्सा हैं?’ — मणिपुर हिंसा को लेकर ‘मोदी के मौन’ पर नाटककार रतन थियम ने उठाए सवाल

दिप्रिंट के साथ एक विशेष बातचीत में थियम ने अपने गृह राज्य में चल रहे संघर्षों और मणिपुर संघर्ष को हल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित ‘शांति समिति’ से पीछे हटने के बारे में बात की.

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नई दिल्ली: आश्चर्यचकित रतन थियम ने कहा- “क्या हम (मणिपुर) भारत का हिस्सा हैं?”

मणिपुर के एक प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार और नाटककार, थियाम, नरेंद्र मोदी सरकार की जातीय हिंसा के प्रति प्रतिक्रिया से “पीड़ित” हैं, जिसने “छोटे राज्य” को बीते दो महीने से जकड़ा हुआ है.

दिप्रिंट के साथ एक विशेष बातचीत में थियम ने कहा कि उनके गृह राज्य में समय बर्बाद हो रहा है क्योंकि वहां हुई झड़पों ने कई लोगों की जान ले ली है, कई महिलाएं विधवा हो गई हैं और बच्चे अनाथ हो गए हैं.

मणिपुर में चल रहे संघर्ष को हल करने के लिए गठित शांति समिति के सदस्य के रूप में थियम को केंद्र सरकार द्वारा नामित किया गया था. हालांकि, वह समिति से पीछे हट गए.

उन्होंने कहा, “पहली बात उन्होंने मुझसे कभी पूछा नहीं कि क्या मैं समिति में शामिल हो पाऊंगा? लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जब केंद्र को तय करना है कि क्या करना है, तो आप शांति समिति बना कर साबिक क्या करना चाहते हैं?”

थियम के कई नाट्य कार्यों ने राज्य में आंतरिक संघर्षों के कारण मणिपुर की चिंता को दर्शाया है. थियम ने कहा, राज्य ने पहले भी हिंसा का अनुभव किया है, लेकिन इस बार बात वैसी नहीं है. थियम को प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है, उन्होंने कहा, “फिर भी प्रधानमंत्री ने मौन साध रखा है.”

उन्होंने पूछा, “उन्होंने (मणिपुर पर) एक शब्द भी नहीं बोला है. जब कोई सरकार इस देश को चला रही है, तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अच्छे या बुरे, गुणी या अवगुणी — सभी लोगों की देखभाल करे. यह उनका कर्तव्य है. ऐसा नेता होने के बावजूद यह (केंद्र सरकार का हस्तक्षेप) क्यों नहीं हो रहा है?”

शांति समिति का रास्ता अपनाने के बजाय थियम ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को ज़मीनी स्थिति को देखने और “चीज़ों पर चर्चा” करने के लिए नीचे आना चाहिए. उन्होंने कहा, “सुलह प्रक्रिया पहले की जानी चाहिए थी, लेकिन पिछले 45 से 50 दिनों में कुछ भी नहीं हुआ है.”

एक साल मोदी की मणिपुर की यात्रा के बारे में बात करते हुए थियम ने कहा, “उन्होंने तब मणिपुर के बारे में इतनी खूबसूरती से बात की थी, लेकिन इस बार वे बाहर नहीं आए हैं.”

उनके अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की राज्य की यात्रा कोई समाधान लाने में विफल रही. हालांकि, उनका दृढ़ विश्वास है कि पीएम का हस्तक्षेप राज्य में स्थिति को हल कर सकता है और शांति ला सकता है. थियम ने कहा, “100 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई थी (शाह की यात्रा के बाद). इसका शांति से कोई लेना-देना नहीं है. हमें एक मानव पैकेज की दरकार है. घर बनाने से पहले हमें और भी कई चीज़ें बनाने की ज़रूरत होती है.”


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उन्होंने दिप्रिंट से राज्य सरकार की विफलता के बारे में भी बात की, जिसके बारे में थियम का कहना था कि ये सभी को नज़र में आ गया है.

उन्होंने कहा, “यहां तक कि भाजपा के एक मंत्री (केंद्र सरकार से) ने भी इस पर बात की है. इसका मतलब काफी है. उनका बयान मणिपुर में जो हो रहा है उसका पूरा परिदृश्य देता है.” उन्होंने कहा, “एक कलाकार के रूप में, मैं केवल केंद्र से जल्दी से कुछ करने का अनुरोध कर सकता हूं, वरना बहुत देर हो चुकी होगी.”

थियम को मुख्यधारा के मीडिया के खिलाफ भी शिकायतें हैं, जो उन्हें लगता है कि मणिपुर की स्थिति को नज़रअंदाज कर रहा है. उन्होंने कहा, जब एक डकैत मरता है तो सभी (टीवी) चैनल इसके बारे में बात करते हैं. वे इसे 15 दिन या उससे भी ज्यादा समय तक दिखाते हैं, लेकिन हमारे मामले में एक महीने तक कुछ नहीं हुआ. वास्तव में कोई भी इसे (मणिपुर हिंसा) एक्सपोज़ करने के बारे में नहीं सोच रहा है.

मणिपुर एक संघर्ष क्षेत्र होने के कारण थियम की प्रस्तुतियों को बहुत प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि वे अपनी प्रस्तुतियों पर विकसित दुनिया, मानव आध्यात्मिकता का अध्ययन करने की इच्छा के साथ काम करते हैं और यह भी समझने के लिए कि सिस्टम “दिन-ब-दिन गलत हो रहा है”.

अपने कार्यों में थियाम अपने पूर्वजों से विरासत में मिले रीति-रिवाजों का पालन करने के महत्व पर जोर देते हैं, न केवल धार्मिक संदर्भ में बल्कि उनके सार के संदर्भ में भी.

उन्होंने कहा, “मेरे विचार वहां नहीं पहुंच सकते, लेकिन एक कलाकार के रूप में (हिंसा खत्म करने के लिए) मैं एक छोटा सा योगदान दे सकता हूं. विधवाओं, अनाथों, राहत शिविरों में रह रहे लोगों के आंसुओं को देखकर मेरा दिल पसीज गया है. जो लोग थोड़े से भी समझदार हैं, उनके लिए इसे बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल है.”

थियम ने कहा कि अपनी ओर से वे भारत के कलात्मक समुदाय से समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि मणिपुर के लोगों को कुछ “ट्रीटमेंट थैरेपी” दी जा सके.

वे राज्य में शांति के लौटने को लेकर आशान्वित हैं. उन्होंने कहा, “हम अतीत में भी शांति से रहे हैं. मणिपुर में 35 समुदाय एक साथ रह रहे हैं. एक कलाकार होने के नाते मैं एक आशावादी हूं. एक इंसान हर समय इंसान से नफरत नहीं कर सकता.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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