नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने शनिवार को कहा कि ‘मध्यस्थता अधिनियम, 2023’ भारतीय कानूनी इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था।
उन्होंने कहा कि इस कानून के जरिये अधिक कुशल और सामंजस्यपूर्ण तरीके से विवाद का समाधान किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि हालांकि कोई भी दृष्टिकोण सभी कानूनी चुनौतियों के लिए रामबाण नहीं हो सकता है लेकिन 2023 अधिनियम वास्तव में ‘‘हमारी टूलकिट में एक अतिरिक्त उपकरण है, जो मतभेद को बातचीत के जरिये सुलझाने को प्रोत्साहित करता है।’’
उन्होंने यहां बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन 2023’ में ‘‘अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में वैकल्पिक विवाद समाधान’’ विषय पर एक तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारतीय कानूनी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण क्षण मध्यस्थता अधिनियम, 2023 है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पक्षकारों को अपने मतभेदों को रचनात्मक ढंग से हल करने की स्वायत्तता प्रदान करता है, जिससे रिश्ते सुरक्षित रहते हैं और समय और संसाधन दोनों की बचत होती है।’’
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, भारत ने खुद को मध्यस्थता और मध्यस्थता सेवाओं में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि आज की दुनिया में, वैश्वीकरण के कारण सब कुछ तेज गति से आगे बढ़ रहा है और इससे वाणिज्यिक लेनदेन में वृद्धि हुई है और व्यावसायिक गतिविधियां सांस्कृतिक तथा भौगोलिक सीमाओं को पार कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसने कई तरह की कानूनी चुनौतियां भी खड़ी की हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जिससे विवाद समाधान अधिक जटिल हो गया है। ये विवाद न केवल संबंधित पक्षों को बल्कि वैश्विक समुदाय को भी प्रभावित करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) व्यवसायों के लिए एक मजबूत उपकरण के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि एडीआर का एक और आवश्यक उपकरण मध्यस्थता है।
भाषा देवेंद्र माधव
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