नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) केंद्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी ‘अरावली ग्रीन वॉल परियोजना’ के पहले चरण में आठ लाख हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र में खराब हुए पारिस्थितिकी तंत्र और भूमि को बहाल करने का लक्ष्य तय किया है।
इस परियोजना का उद्देश्य उत्तर-पश्चिम भारत में अरावली पर्वत शृंखला के चारों ओर हरित बफर क्षेत्र विकसित बनाना है।
अरावली की पारिस्थितिकी को फिर से बहाल करने के लिए तैयार विस्तृत कार्ययोजना के अनुसार, सरकार द्वारा पहले चरण में अनुमानित 16,053 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की संभावना है।
गुजरात से दिल्ली तक 700 किलोमीटर तक फैली अरावली पर्वतमाला मरुस्थलीकरण के विरुद्ध एक प्राकृतिक अवरोध का काम करती है, जो थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है तथा दिल्ली, जयपुर और गुरुग्राम जैसे शहरों की रक्षा करती है।
भारत की सबसे पुरानी पर्वत शृंखला अरावली, चंबल, साबरमती और लूनी जैसी महत्वपूर्ण नदियों का स्रोत है। इसके जंगल, घास के मैदान और आर्द्रभूमि लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों को आश्रय देते हैं।
हालांकि, वनों की कटाई, खनन, पशुचारण और मानव अतिक्रमण के कारण मरुस्थलीकरण की स्थिति भयावह होती जा रही है, भूजल को नुकसान पहुंच रहा है, झीलें सूख रही हैं तथा वन्यजीवों को जीवित रखने की इस क्षेत्र की क्षमता कम हो रही है।
इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने मार्च 2023 में ‘अरावली ग्रीन वॉल’ पहल शुरू की। इस परियोजना का उद्देश्य गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में 64.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पांच किलोमीटर चौड़ी पट्टी के रूप में हरित पट्टी बफर जोन स्थापित करना है।
कार्ययोजना के मुताबिक इस बफर जोन के अंतर्गत आने वाली करीब 42 प्रतिशत (27 लाख हेक्टेयर) जमीन क्षरित है। इसके मुताबिक कुल क्षरित भूमि का 81 प्रतिशत राजस्थान में, 15.8 प्रतिशत गुजरात में, 1.7 प्रतिशत हरियाणा में तथा 1.6 प्रतिशत दिल्ली में है।
राजस्थान के उदयपुर जिले में बफर जोन के भीतर सबसे अधिक क्षरित भूमि (6.75 लाख हेक्टेयर) है, जो हरियाणा, दिल्ली और गुजरात के संयुक्त क्षरित क्षेत्र (5.68 लाख हेक्टेयर) से भी अधिक है।
परियोजना के पहले चरण में 8,16,732 हेक्टेयर दर्ज वन क्षेत्र को बहाल किया जाएगा। इसमें दिल्ली में 3,010 हेक्टेयर, गुजरात में 5,677 हेक्टेयर, हरियाणा में 3,812 हेक्टेयर और राजस्थान में 99,952 हेक्टेयर शामिल हैं। इस चरण के लिए कुल अनुमानित बजट 16,053 करोड़ रुपये है।
केंद्र सरकार के अनुसार, यह पहल भारत के जलवायु लक्ष्य को हासिल करने में अहम होगी। इसके तहत 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त अवशोषण क्षमता का विकास होगा तथा 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनः उपजाऊ बनाया जाएगा।
भाषा
धीरज वैभव
वैभव
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