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Monday, 22 September, 2025
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केरल में कुलपतियों की नियुक्ति: विशेषज्ञ रिपोर्ट का इंतजार करेगा न्यायालय

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नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर की उस याचिका पर सुनवाई से पहले शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की रिपोर्ट का इंतजार करने को कहा जिसमें राज्य के दो विश्वविद्यालयों के लिए कुलपतियों (वीसी) की नियुक्ति की सिफारिश करने वाली समिति से मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को हटाने का अनुरोध किया गया है।

राज्यपाल की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख किया।

शीर्ष विधि अधिकारी ने तत्काल सुनवाई की जरूरत की ओर इशारा किया और पीठ से राज्यपाल की याचिका पर सुनवाई करने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा एक बहुत छोटा सा अनुरोध है। इन आवेदनों को इस मामले में न्यायमूर्ति धूलिया की किसी भी प्रक्रिया में बाधा डालने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। लेकिन बाद में एक अन्य पीठ द्वारा पारित आदेश ने कुलाधिपति को नियुक्ति प्राधिकारी के रूप में बहाल कर दिया है।’’

अटॉर्नी जनरल पश्चिम बंगाल के राज्यपाल-कुलपति विवाद में न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के एक आदेश का हवाला दे रहे थे, जिसमें न्यायालय ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश यू. यू. ललित को मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया था।

हालांकि, पीठ ने हाल में अपने आदेश के एक हिस्से को संशोधित करते हुए स्पष्ट किया कि न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली समिति को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए वरीयता क्रम का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।

अटॉर्नी जनरल के अनुसार यह संशोधन नियुक्ति प्रक्रिया में राज्यपाल की भूमिका को प्रभावी रूप से कुलपति के रूप में बहाल करता है, जिससे केरल की समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं।

न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पूछा, ‘‘क्या हमें न्यायमूर्ति धूलिया की रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना चाहिए?’’ उन्होंने संकेत दिया कि न्यायालय समिति के निष्कर्ष प्राप्त करने के बाद ही समग्र दृष्टिकोण अपनाएगा।

पीठ ने कहा, ‘‘रिपोर्ट आने दीजिए। हम तरीकों पर काम करेंगे। हम संतुलन बनाएंगे… जिस दिन रिपोर्ट आएगी, हम रिपोर्ट और संशोधित आदेश पर गौर करेंगे।’’ इसके बाद पीठ ने मामले को स्थगित कर दिया।

केरल के राज्यपाल ने एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और केरल डिजिटल विश्वविद्यालय के कुलपतियों की चयन प्रक्रिया से मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को बाहर रखने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

राज्यपाल दोनों सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों में से किसी ने भी चयन प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की किसी भूमिका की परिकल्पना नहीं की।

याचिका में दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति की पूरी चयन प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की भूमिका पर प्रकाश डाला गया और ‘‘पश्चिम बंगाल राज्य बनाम डॉ. सनत कुमार घोष एवं अन्य’’ मामले का हवाला दिया गया, जिसके निर्देश वर्तमान मामले में लागू किए गए थे।

याचिका में कहा गया है कि कलकत्ता विश्वविद्यालय अधिनियम, 1979 की धारा 8 (1) में चयन प्रक्रिया में राज्य के मंत्री की भूमिका का प्रावधान है।

राज्यपाल ने कहा, ‘‘चूंकि मंत्री पश्चिम बंगाल राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति की चयन प्रक्रिया का हिस्सा हैं, इसलिए इस अदालत ने मुख्यमंत्री को भी उक्त प्रक्रिया का हिस्सा बनाया है।’’

भाषा सुरभि वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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