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Friday, 17 May, 2024
होमदेशहाथरस मामले में हाईकोर्ट की UP सरकार को फटकार, पीड़ित परिवार की केस बाहर शिफ्ट करने की गुहार

हाथरस मामले में हाईकोर्ट की UP सरकार को फटकार, पीड़ित परिवार की केस बाहर शिफ्ट करने की गुहार

पीड़ित परिवार की ओर से वकील सीमा कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोर्ट ने रातों-रात अंतिम संस्कार किए जाने पर नाराजगी जताई है.

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लखनऊ: हाथरस में कथित रेप व मर्डर केस की सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार ने केस को अंडर इन्वेस्टिगेशन के बाद दिल्ली या मुंबई ट्रांसफर करने की अपील की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सोमवार को मामले की इस सुनवाई में पीड़ित परिवार व लापरवाही बरतने के आरोपी अफसरों के बयान दर्ज कर लिए गए, जिसके बाद कोर्ट की ओर से मामले में अगली सुनवाई की तारीख 2 नवंबर दी गई है. बता दें कि बीते 1 अक्टूबर को इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए, हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी (लॉ ऑर्डर), डीएम व पुलिस अधीक्षक हाथरस को तलब किया था.

पीड़ित परिवार की ओर से वकील सीमा कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोर्ट ने रातों-रात अंतिम संस्कार किए जाने पर नाराजगी जताई है. सीमा के मुताबिक, प्रशासन की ओर से कहा गया कि लॉ एंड ऑर्डर अगले दिन गड़बड़ा सकता था. इसी कारण रात में ही अंतिम संस्कार किया गया. इस पर कोर्ट सहमत नहीं दिखा. वहीं राज्य सरकार की ओर से ये भी कहा गया कि कई ऐसे सबूत हैं जिसे वह कोर्ट के सामने पेश करना चाहते हैं, जिससे साबित होगा कि अगले दिन लॉ एंड ऑर्डर गड़बड़ाने का बड़ा खतरा था. इसी वजह से 2 नवंबर की तारीख तय हुई है.

पीड़ित परिवार ने रखी तीन मांगें

वकील सीमा कुशवाहा के मुताबिक, ‘हमारी तीन मांगे हैं जो हमने कोर्ट के सामने रखीं- जो भी सीबीआई की रिपोर्ट हो वो पब्लिक में ना आए, परिवार को सेक्योरिटी दी जाए और केस को अंडर इन्वेस्टिगेशन के बाद दिल्ली या मुंबई ट्रांसफर कर दिया जाए. राज्य सरकार पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने के मुद्दे पर सहमती जताई.’ इस दौरान हाथरस एसपी विनीत जायसवाल ने बताया कि परिवार की सुरक्षा के लिए घर पर 66 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं और आठ सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

वकील के मुताबिक जज ने इस पर डीएम से सवाल किया कि अगर किसी अमीर की बेटी होती तो क्या आप ऐसे ही हिम्मत करते उसे इस तरीके से जलाने की? क्या 2-3 घंटे और नहीं रुका जा सकता था. आखिर किसके आर्डर पर ये फैसला लिया गया तो डीएम ने ‘लाॅ एंड आर्डर बिगड़ने का डर’ इसका कारण बताया.जिस तरह से बड़े व्यावसायिक घरानों के लोगों को एक वोट का अधिकार है, वैसे ही दलित और अन्य सभी लोगों को भी वोट का अधिकार संविधान ने दिया है.


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कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने सुनवाई के बाद मीडिया से कहा कि कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना है और अगली तारीख 2 नवंबर दी है. सरकार की ओर से एडीजी लॉ एंड ऑर्डर व स्पेशल सेक्रेटरी रैंक का अधिकारी 2 नवंबर को पेश होगा.

सुनवाई के दौरान कोर्ट में प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व हाथरस के जिलाधिकारी- पुलिस अधीक्षक मौजूद रहे जबकि पीड़ित पक्ष की तरफ से परिवार के पांच सदस्य मौजूद रहे. सभी ने जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय के समक्ष अपना पक्ष रखा.

बता दें कि बीते 1 अक्टूबर को इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए, अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था, जिलाधिकारी हाथरस और पुलिस अधीक्षक हाथरस को तलब किया था. कोर्ट ने पीड़िता के मां-पिता, भाई व बहन को भी हाजिर होने को कहा था. ताकि अंतिम संस्कार के सम्बंध में उनके द्वारा बताए तथ्यों को भी जाना जा सके. दूसरी ओर से सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरु हर दी है. सीबीआई की एक टीम पूरा मामला जांचने के लिए हाथरस पहुंच गई है,

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