नई दिल्ली: वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की इकाई एशिया पैसिफिक समूह (एपीजी) ने आतंकी समूहों से जुड़े लोगों पर कार्रवाई न किए जाने को लेकर पाकिस्तान की खिंचाई की है. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद भी 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज़ सईद और जमात उद दावा, लश्कर-ए-तैयबा और एफआईएफ सहित कई आतंकी समूहों पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया है.
अपनी हाल की रिपोर्ट में एपीजी ने म्युचुअल इवैलुएशन रिपोर्ट ऑफ पाकिस्तान नामक अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश को अपने धनशोधन या आतंकी वित्तपोषण के जोखिमों की ‘पहचान, आकलन और समझ’ होनी चाहिए.
इसमें पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों जैसे कि दाएश, अल-कायदा, जमात-उद-दावा और जैश-ए-मोहम्मद सहित कई अन्य आतंकी समूहों से जुड़े होने की बात कही है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ‘पाकिस्तान ने यूएनएससीआर 1267 की समिति द्वारा चयनित आतंकियों और संगठनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. खासतौर से लश्कर-ए-तैयबा, जमात उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत सहित कई संगठनों के नाम इसमें शामिल हैं.’
यही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान को इनकी मनी लांड्रिंग, टेरर फंडिग के जोखिमों की पर्याप्त पहचान और आकलन किए जाने की जरूरत है जिसमें खासकर वह आतंकी समूह शामिल हैं जो खासतौर पर पाकिस्तान की सरजमीं से ऑपरेट किए जा रहे हैं. जिसमें दाएश, अलकायदा, जमात उद दावा, लश्कर-ए-तैयबा, सहित एफआईएफ, जेईएम और कई आतंकी समूह शामिल हैं.
बता दें कि एपीजे द्वारा की गई यह टिप्पणी पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है. तब जब एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में रखे जाने का खतरा मंडरा रहा है. मनी लांड्रिंग पर नजर रखने वाली अतंरराष्ट्रीय एजेंसी एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था और उसे 27 बिंदुओं पर एक्शन लेने के लिए 15 महीने का समय दिया गया था.
सितंबर में समाप्त होने वाली डेटलाइन के साथ, एफएटीएफ की पेरिस में 13 और 18 अक्टूबर के बीच अपनी अगली बैठक के दौरान मामले की अंतिम समीक्षा होने की उम्मीद है. ऐसे में पाकिस्तान पर एपीजे की यह रिपोर्ट पाकिस्तान के लिए अच्छे संकेत नहीं है.