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Monday, 20 January, 2025
होमदेशशीर्ष उपभोक्ता आयोग ने तंत्रिका संबंधी दिक्कतों पर डॉक्टर को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया

शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने तंत्रिका संबंधी दिक्कतों पर डॉक्टर को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया

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नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने एक डॉक्टर को 21 साल पहले चिकित्सकीय लापरवाही के कारण कथित तौर पर तंत्रिका संबंधी परेशानी से पीड़ित एक महिला को ब्याज सहित चार लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।

एनसीडीआरसी के अध्यक्ष आर के अग्रवाल और सदस्य एस एम कांतिकर और बिनॉय कुमार ने तमिलनाडु उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के 2014 के आदेश के खिलाफ डॉक्टर की पुनरीक्षण याचिका पर यह निर्देश दिया। तमिलनाडु उपभोक्ता विवाद निवारणआयोग ने अपने आदेश में इस डाक्टर को चिकित्सा लापरवाही के लिए महिला मरीज को चार लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था।

एनसीडीआरसी ने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता देखभाल के अपने कर्तव्य में विफल रहा। चिकित्सा विज्ञान के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ लापरवाही तय की जाती है। न्याय के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, हम याचिकाकर्ता को 2014 से छह प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ चार लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश देना उचित समझते हैं।’’

एनसीडीआरसी ने कहा कि सभी समस्याओं का ‘‘मूल कारण’’ इंजेक्शन लगाने में डॉक्टर की लापरवाही थी और इस तरह तंत्रिका को नुकसान पहुंचा था। एनसीडीआरसी ने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप नाबालिग लड़की को गंभीर दर्द हुआ और उसे चलने में दिक्कतें हुईं, जिसे पॉली-रेडिकुलोपैथी के रूप में जाना जाता है।’’

पीठ ने कहा कि मरीज को शुरू में तंत्रिका संबंधी कोई समस्या नहीं थी, लेकिन इंजेक्शन लगने के बाद धीरे-धीरे पॉली-रेडिकुलोपैथी से पीड़ित होने लगी। शिकायत के अनुसार 24 अगस्त 2000 को तेज बुखार से पीड़ित लड़की को डॉक्टर के पास ले जाया गया, जिसने उसे इंजेक्शन दिया था। इसके तुरंत बाद लड़की को तेज दर्द और सूजन का अनुभव हुआ। वह खड़े या चलने में असमर्थ थी। इलाज में लापरवाही के कारण नाबालिग के पिता ने उपभोक्ता फोरम का रुख किया था।

भाषा आशीष अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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