(सप्तर्षि बनर्जी)
कोलकाता, 11 अक्टूबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और करीब 6,500 किलोमीटर दूर नीदरलैंड के एल्मीयर शहर में इस बार आयोजित होने वाले दुर्गा पूजा आयोजनों में दुनिया के सबसे बड़े सदाबहार वन क्षेत्र सुंदरबन की झलक देखने को मिलेगी।
कोलकाता साल्ट लेक में एक पूजा समिति ने सदाबहार वन क्षेत्र के आवरण के महत्व और पर्यावरण के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक छोटा सुंदरबन बनाया है जबकि वन क्षेत्र की महिलाओं द्वारा बनाए गए विभिन्न उत्पादों को एल्मीयर में पूजा आयोजकों द्वारा अपने पंडाल में प्रदर्शित करने के लिए खरीदा गया है।
साल्ट लेक की सीई ब्लॉक पूजा समिति के अध्यक्ष देबाशीष सेन ने कहा, ‘‘इस बार कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडाल में हमारा विषय सुंदरबन की एक झलक है। वहां के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए। कोलकाता से बहुत सारे पर्यटक वहां जाते हैं और वे अकसर पर्यावरण को खराब करते हैं, उस जगह को प्लास्टिक और थर्माकोल से गंदा करते हैं, तेज संगीत बजाकर जानवरों को परेशान करते हैं।’’
पूजा के लिए यहां पंडाल में आने वाले किसी आगंतुक को, सुंदरबन के लोगों द्वारा बनाया जा रहा मंडप ऐसा आभास देगा जैसे पूजा किसी जंगल के अंदर आयोजित की जा रही हो। पंडाल की ओर जाने वाले रास्ते के दोनों ओर मूल सदाबहार पेड़ लगाए गए हैं। इसे जंगल का रूप देने के लिए इसके चारों ओर कुछ बड़े पेड़ भी लगाए जाएंगे।
सीई ब्लॉक वेलफेयर एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, ‘‘सुंदरबन में सदाबहार कवर की आवश्यकता है। कोलकाता और हमारी भावी पीढ़ी का भविष्य अनिश्चित है क्योंकि यूएनईपी (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम) की रिपोर्ट के अनुसार शहर के अगले 10 वर्षों में पानी में डूबने का खतरा है।’’
पंडाल लगाने और सजावट के लिए प्राकृतिक तरीके से समाप्त होने वाली वस्तुओं का ही उपयोग किया जा रहा है।
पूजा समिति के सचिव राजदीप दत्ता ने कहा कि दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान सुंदरबन की ‘पटचित्र’ कला (मिट्टी के बर्तनों पर पारंपरिक पेंटिंग) का प्रदर्शन किया जाएगा, जबकि एक लोक नाटक – ‘बोनबीबी पाला’ – का भी मंचन किया जाएगा।
सुंदरबन की संरक्षक मानी जाने वाली बोनबीबी (जंगल की महिला), वहां हिंदू और मुस्लिम दोनों द्वारा पूजनीय हैं। पूजा समिति ने पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए वन और पर्यटन विभागों के साथ साझेदारी की है। एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सांस्कृतिक विरासत के लिए कोलकाता सोसाइटी (केएससीएच) के सहयोग से आयोजकों द्वारा साल्ट लेक पंडाल में नाव और मछली पकड़ने के जाल सहित बोनबीबी और कई अन्य सजावटी वस्तुओं की स्थापना की जा रही है।
उसी एनजीओ की मदद से, सुंदरवन एम्स्टर्डम से लगभग 30 किमी दूर एल्मीयर में एक पूजा का विषय बन गया है।
एल्मीयर में पूजा के आयोजकों में से एक सतरूपा बोस रॉय ने कहा, ‘‘हम सुंदरबन का पटचित्र प्रदर्शित करेंगे। इसके अलावा, हमने सुंदरबन की महिलाओं द्वारा ई-कचरे से बनाए गए विभिन्न उत्पाद भी खरीदे हैं। उन्होंने ई-कचरे से पक्षी, कछुए और अन्य चीजें बनाई हैं।’’
भाषा रवि कांत नेत्रपाल
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