लेह, एक अक्टूबर (भाषा) लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने ‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) और ‘कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ (केडीए) से केंद्र सरकार के साथ बातचीत से दूर रहने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का बुधवार को आग्रह करते हुए कहा कि किसी भी मामले को बैठकर सुलझाया जा सकता है।
गुप्ता ने लद्दाख की स्थिति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता देश में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं तथा इसी तरह उन्होंने किसानों के आंदोलन और अन्य विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी किया था।
आंदोलनकारी समूहों द्वारा 24 सितंबर की हिंसा की न्यायिक जांच और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक सहित हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की मांग के बीच उपराज्यपाल ने कहा कि मजिस्ट्रेट जांच की घोषणा पहले ही की जा चुकी है और यह बहुत जल्द शुरू होगी।
कर्फ्यूग्रस्त लेह शहर में सप्ताह भर से लगे प्रतिबंधों में अधिकारियों द्वारा सात घंटे की ढील दिए जाने के बाद मंगलवार सुबह से ही स्थिति सामान्य रही। इस ढील के तहत दुकानों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों को फिर से खोलने का आदेश दिया गया।
यहां सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक ढील का समय बुधवार को एक घंटे और बढ़ा दिया गया। हालांकि मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अब भी निलंबित हैं और कारगिल सहित केंद्र शासित प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध के आदेश भी लागू हैं।
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एलएबी और केडीए ने अनुकूल माहौल बनने तक वार्ता को स्थगित करने की घोषणा की है। इसी कारण गृह मंत्रालय और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच छह अक्टूबर को होने वाली वार्ता में बाधा उत्पन्न हो गई है।
उन्होंने हिंसा की न्यायिक जांच और हिरासत में लिए गए 50 से अधिक लोगों की रिहाई की मांग की। इनमें वांगचुक भी शामिल हैं और उन्हें हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इन दोनों संगठनों ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों और सुरक्षा बलों के ‘रवैये’ के कारण एलएबी के एक घटक द्वारा आहूत बंद के दौरान हिंसा हुई।
उपराज्यपाल ने यहां ‘पीटीआई वीडियो’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘प्रशासन ने स्थिति को बदतर नहीं बनाया है और न ही हम चाहते थे कि स्थिति ऐसी हो। हिंसा किस वजह से हुई, यह जांच का विषय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने उन्हें (एलएबी और केडीए को) बातचीत के लिए आमंत्रित किया था और उन्हें पहले परामर्श के लिए जाना चाहिए था… किसी भी मुद्दे को केवल बैठकर ही सुलझाया जा सकता है। केवल बातचीत के जरिए ही चीजें संभव होती हैं।’’
भाषा यासिर नरेश
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