नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) देश के 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर शुक्रवार को कर्तव्य पथ पर निकाली गई विभिन्न राज्यों की झांकियों में तमिलनाडु की झांकी भी शामिल थी जिसमें 10वीं शताब्दी के चोल युग के दौरान उभरी और लोकतंत्र की दिशा में एक प्रारंभिक कदम मानी जाने वाली कुडावोलाई चुनाव प्रणाली के महत्व को रेखांकित किया गया।
इस चुनावी प्रक्रिया का इस्तेमाल ग्रामीण प्रशासन के संचालन के लिए प्रतिनिधियों के चुनाव के वास्ते होता था और इससे लोगों की सामूहिक इच्छा प्रदर्शित होती थी।
इस प्रणाली के ऐतिहासिक साक्ष्य कांचीपुरम जिले में स्थित उतीरामेरुर शिलालेखों में दर्ज़ हैं।
झांकी में निर्वाचन प्रक्रिया को मूर्तियों के जरिए दिखाया गया। किसी वार्ड के लोग अपने मत डालने के लिए कतारों में खड़े होते थे और एक पात्र में एक चिट डालते थे। इसके बाद एक छोटा बच्चा उसमें से एक चिट उठाता था और निर्वाचित नेता का नाम तेज आवाज में बोला जाता था। पूरी प्रक्रिया को पवित्र समझा जाता था।
झांकी में उतीरामेरुर में वैकुंडा पेरुमल मंदिर का एक मॉडल भी दिखाया गया, जहां कुडावोलाई प्रणाली का ही इस्तेमाल होता है।
भाषा शोभना मनीषा शोभना
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