(फाइल फोटो के साथ)
कोट्टायम, 18 जुलाई (भाषा) केरल के कोट्टायम जिले के पुथुपल्ली गांव को मंगलवार को “अपूरणीय क्षति” और खालीपन का सामना करना पड़ा, जिसकी भरपाई काफी मुश्किल है।
बीते 53 साल से पुथुपल्ली सीट से विधायक ओमन चांडी का निधन होने के बाद यहां शोक की लहर दौड़ गई और सैकड़ों लोग उनके आवास पर जमा हो गए।
पुथुपल्ली में रहने वाले लोग चांडी के घर से विशेष रूप से परिचित थे क्योंकि इसके दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले रहते थे। स्थानीय लोगों को याद है कि वे किस तरह दिन में कभी भी चांडी के घर पहुंचकर उनसे बात कर सकते थे।
यह पता होने के बावजूद कि चांडी का पार्थिव शरीर बुधवार शाम को घर लाया जाएगा, बड़ी संख्या में लोग अभी से उनके आवास और प्रांगण में जुटने लगे हैं।
स्थानीय निवासी विजयन जोसेफ ने संवाददाताओं से कहा कि चांडी पुथुपल्ली की धड़कन थे। जोसेफ ने कहा, ‘हमे विश्वास नहीं हो रहा कि वह हमें छोड़कर चले गए हैं। वह पुथुपल्ली की धड़कन थे। उनकी यादें और उनका नाम हमेशा हमारे साथ रहेगा।’
चांडी के ‘कैरोट वल्लिकालिल’ आवास में रविवार को अक्सर भीड़ रहती थी और लोग अपनी समस्याओं की सूची लेकर समाधान के लिए उनसे मिलने आते थे। एक स्थानीय निवासी बीजू ने कहा, ‘वह हर किसी की बात धैर्यपूर्वक सुनते थे और फिर समाधान निकालते थे।’
चांडी के निधन की खबर से पुथुप्पल्ली निवासियों के बीच खालीपन पैदा हो गया और शोक की लहर दौड़ गई।
भले ही चांडी तिरुवनंतपुरम में रहने लगे थे, लेकिन उन्होंने पुथुप्पल्ली को कभी नहीं छोड़ा। चांडी ने राज्य की राजधानी में अपने निवास का नाम ‘पुथुप्पल्ली हाउस’ रखा और यह सुनिश्चित किया कि वह हर रविवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में स्थित ‘कैरोट वल्लिकालिल’ आवास में मौजूद रहें। इलाज के लिए बेंगलुरु जाने से पहले तक उनकी यह आदत बनी रही।
पुथुपल्ली के एक अन्य निवासी थंबन ने कहा, ‘हम बचपन के दोस्त थे। जब वह 1970 में विधायक बने थे, तब से हम किसी भी समय किसी भी मुद्दे पर उनसे मिल सकते थे और वह समाधान ढूंढते थे। मुझे नहीं लगता कि पुथुपल्ली या केरल को कभी भी चांडी जैसा कोई सामाजिक कार्यकर्ता मिलेगा।’
भाषा जोहेब मनीषा
मनीषा
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