scorecardresearch
Sunday, 3 November, 2024
होमदेशहाथरस मामले पर मीडिया को बयान देने वाले दो CMO को AMU ने हटाया, रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दी हड़ताल की धमकी

हाथरस मामले पर मीडिया को बयान देने वाले दो CMO को AMU ने हटाया, रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दी हड़ताल की धमकी

दोनों हाथरस पीड़िता के इलाज के वक्त कैजुअलिटी वॉर्ड के इंजार्ज थे. दोनों का हटाने का कारण बस यही बताया गया कि वे जिनकी जगह पर पोस्ट किए गए थे वे डॉक्टर छुट्टी से वापस आ गए हैं.

Text Size:

लखनऊ : हाथरस कांड पर मीडिया को बयान देने वाले अलीगढ़ मेडिकल यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के दो टैंपरेरी कैजुअलिटी मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) अज़ीम मलिक और उबैद हक का मंगलवार अपॉइंटमेंट खारिज कर दिया गया. दोनों हाथरस पीड़िता के इलाज के वक्त कैजुअलिटी वॉर्ड के इंजार्ज थे. दोनों का हटाने का कारण बस यही बताया गया कि वे जिनकी जगह पर पोस्ट किए गए थे वे डॉक्टर छुट्टी से वापस आ गए हैं.

वहीं हटाए गए दोनों डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें अचानक से ही सेवाएं बंद करने को कहा गया. ऐसा उनके साथ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि हाथरस रेप से जुड़े मामले में मीडिया को बाइट दे दी थी. अज़ीम मलिक ने तो इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बातचीत में भी कहा था 11 दिन बाद फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर 96 घंटे के अंदर ही फॉरेंसिक सैम्पल लिए जाएं, तभी रेप होने या न होने के बारे में सही नतीजा मिल सकता है. 11 दिन बाद लाए गए सैम्पल के आधार पर तैयार एफएसएल की रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हो सकती. 14 सितंबर को हाथरस में रेप हुआ जबकि फॉरेंसिक सैंपल 25 सितंबर को लिया गया

दिप्रिंट से बातचीत में डॉक्टर अज़ीम मलिक ने कहा, ‘अभी भी अपनी बात पर कायम हूं, रेप की पुष्टी 11 दिन बाद लिए गए सैम्पल के आधार पर तैयार एफएसएल की रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हो सकती लेकिन इस बयान को एएमयू प्रशासन ने गलत तरह से लिया. किस दबाव में उन्हें नौकरी से हटाने का फैसला किया गया ये मुझे नहीं जानते लेकिन हाथरस मामले में मीडिया को बयान देना भी एक कारण है. उनके बयान के बाद प्रशासन की ओर से उन पर लगातार दबाव डाला जा रहा था. आज वे और उनके साथी उबैद तब अस्पताल पहुंचे तो चीफ मेडिकल ऑफिसर की ओर से सर्विस टर्मिनेशन का पत्र थमा दिया गया.’


यह भी पढ़ें : हाथरस के बाद छवि सुधारने की कोशिश, ‘मिशन शक्ति’ और ‘ऑपरेशन शक्ति’ कार्यक्रम शुरू करेगी योगी सरकार


वहीं, डॉक्टर उबैद हाफिज ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में हमारा नाम आने के बाद पिछले कई दिनों से मैंटली हैरेस किया जा रहा था. इस बार हमारा मंथली कॉन्ट्रैक्ट रीन्यू किया गया और अचानक से हमें ड्यूटी छोड़ने को कह दिया गया. मैंने हाथरस पीड़िता के मेडिको लीगल डॉक्यूमेंट्स साइन किये थे. यही बात मैंने एक वेब पोर्टल को भी बताई थी लेकिन उसके बाद से प्रशासन हमे अलग नजर से देखने लगा और आज हमें हटा दिया गया.

एएमयू ने किया इंकार

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की ओर से ट्वीट करके कहा गया कि किसी भी स्टाफ को सस्पेंड नहीं किया गया. सोशल मीडिया पर चल रही खबरें भ्रामक हैं, इनमें कोई सच्चाई नहीं. जब दिप्रिंट ने एमयू के पीआरओ उमर पीर ज़ादा से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से टेंपरेरी कैजुअलिटी मेडिकल ऑफिसर की वैकेंसी तब क्रियेट की जाती है जब कोई छुट्टी पर होता है, जैसे ही वे लौट आता है तो वैकेंसी को डिजॉल्व कर दिया जाता है. ये कोई पर्मानेंट पद नहीं होता है. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है.

रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.हमजा मलिक ने कहा है कि अगर दोनों डॉक्टरों को वापस नहीं लिया गया तो सभी रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे. हमजा के मुताबिक, इन दोनों डॉक्टरों ने कोविड फेज के दौरान खूब मेहनत से काम किया. अब केवल अखबार में आए एक बयान के कारण इन्हें हटाया जा रहा है जो कि सरासर गलत है. हालांकि एमएयू प्रशासन से जुड़े सूत्रों की मानें तो हटाए गए दोनों डॉक्टरों को दूसरे पद पर एडजस्ट किया जा सकता है.

share & View comments