scorecardresearch
Tuesday, 7 May, 2024
होमदेश'ये भारत नहीं पंजाब है', चेहरे पर तिरंगा पेंट करवा कर स्वर्ण मंदिर पहुंची लड़की को सेवादार ने रोका

‘ये भारत नहीं पंजाब है’, चेहरे पर तिरंगा पेंट करवा कर स्वर्ण मंदिर पहुंची लड़की को सेवादार ने रोका

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने भी वीडियो के सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद सोशल मीडिया पर सिखों के खिलाफ बनाई जा रही धारणा की निंदा की.

Text Size:

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रहा एक वीडियो जिसमे नजर आ रहा है कि एक महिला को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है क्योंकि उस महिला ने अपने चेहरे पर राष्ट्रीय ध्वज का रंग पेंट करा रखा था.

वीडियो में आंशिक रूप से नजर आ रहे एक व्यक्ति को मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध समिति (एसजीपीसी) के एक कर्मचारी से यह कहते हुए सुना जा रहा है कि, ‘‘क्या यह भारत नहीं है?’’ कर्मचारी इस पर जवाब देता है कि यह ‘‘पंजाब है’’.

सिखों की शीर्ष धार्मिक संस्था एसजीपीसी के अनुसार, सेवादार ने महिला से धार्मिक स्थान पर मर्यादा का पालन करने को कहा.

एसजीपीसी ने कहा कि उसने मामले में जांच शुरू कर दी है और आरोप लगाया कि कुछ लोग घटना को गलत मोड़ दे रहे हैं.

सेवादार ने कथित रूप से महिला के चेहरे पर लगे झंडे के रंग को लेकर आपत्ति जताई थी.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

हर शाम अटारी-वाघा संयुक्त चेकपोस्ट पर ‘‘बीटिंग द रिट्रीट’’ देखने आने वाले कई लोगों और पर्यटकों में अपने चेहरे पर राष्ट्रीय ध्वज के रंगों से पेंट कराना आम बात है.

एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि ‘‘पेंटिंग राष्ट्र ध्वज नहीं थी क्योंकि उसमें अशोक चक्र नहीं बना था’’.

उन्होंने कहा, ‘‘सिख समुदाय राष्ट्रीय ध्वज के प्रति बेहद सम्मान का भाव रखता है क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अधिकांश लोग सिख थे.’’

ग्रेवाल ने कहा कि सिख देशभक्त होते हैं और वे अपनी मातृभूति की खातिर कोई भी बलिदान कर सकते हैं.

ग्रेवाल ने घटना को लेकर खेद जताते हुए कहा, ‘‘सभी लोग, चाहे वे दुनिया भर में कहीं से भी हों या किसी भी धर्म से हों, उनका यहां स्वागत है. घटना उस वक्त हुई जब एक महिला श्रद्धालु को एसजीपीसी सेवादार ने रोक दिया था और सिख मर्यादा का पालन करने के लिए कहा था जिसके कारण दोनों के बीच विवाद हुआ.’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस घटना के कारण अगर किसी की भी भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं माफी मांगता हूं.’’ उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर सिख आचार संहिता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.

घटना के बाद सिखों के खिलाफ बनाई जा रही धारणा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘किसी को भी सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट कर सिख समुदाय की छवि खराब करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.’’ उन्होंने बताया कि घटना शनिवार को हुई.

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने भी वीडियो के सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद सोशल मीडिया पर सिखों के खिलाफ बनाई जा रही धारणा की निंदा की.

एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि किसी घटना को लेकर सिखों की छवि खराब करने और संगठन के प्रबंधन को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत और आधारहीन टिप्पणियां करना सही नहीं है.

धामी ने कहा कि हर गुरुद्वारे में एक आचार संहिता होती है, जिसका पालन करना लोगों के लिए अनिवार्य होता है.


यह भी पढ़ें: कचरा बीनने में न बीते जीवन और नशे के लती न बन जाए बच्चे, दिल्ली पुलिस ने शुरू की ‘चौकी में पाठशाला’


share & View comments