नई दिल्ली: नवनिर्वाचित गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर की समस्या को सुलझाने के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर नए ढंग से इस मुद्दे का हल निकालेंगे. गौरतलब है कि सुरक्षाबलों ने आतंकवाद से निपटने के लिए कमर कस ली है.
इस साल के पहले पांच महीनों में 101 आतंकवादियों को बेअसर करने के बाद, अगला लक्ष्य अब कश्मीर घाटी में आतंकी नेतृत्व को बाहर निकालने के अलावा राज्य में चुनाव कराने के लिए हिंसा मुक्त जमीन तैयार करना है.
सुरक्षा संस्थान के एक उच्च अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार के तहत, गृह और रक्षा मंत्रालयों के बीच समन्वय बढ़ेगा.
सूत्रों का यह भी मानना है कि गर्मियों में घुसपैठ जल्द ही शुरू हो जाएगा और ऐसे में कड़ी निगरानी की आवश्यकता है क्योंकि पाकिस्तान आतंकी बुनियादी ढांचे की बुरी मार झेलने के बाद अधिक आतंकवादियों को भेजने की कोशिश करेगा.
साथ ही, सुरक्षा बल स्थानीय युवाओं को भी अनुमति दे रहे हैं जिन्होंने हथियार उठाया है ताकि वे उग्रवाद को छोड़ सकें और अपनी इच्छा के अनुसार वापस लौट सकें.
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मारे गए 20 आतंकवादियों का ‘औसत’
त्राल और शोपियां में शुक्रवार को पांच आतंकवादियों के मारे जाने के साथ, 2019 में जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के संयुक्त प्रयासों से कुल 101 आतंकवादियों को निष्प्रभावी कर दिया गया है.
जम्मू और कश्मीर पुलिस ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, ‘औसत लगभग 20 आतंकवादियों को मार डाला गया है.’
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, मारे गए आतंकवादियों में 25 विदेशी आतंकवादी शामिल थे और 76 स्थानीय लोग जोकि पाकिस्तान प्रायोजित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और अल-कायदा से जुड़े अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े शामिल थे.
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मारे गए शीर्ष आतंकवादियों में जाकिर मूसा और अफगानिस्तान युद्ध के दिग्गज अब्दुल रशीद गाजी, एक पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं जिन्हें कामरान के नाम से भी जाना जाता है.
सूत्रों ने कहा कि अभियानों के बीच, यह सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष प्रयास भी किया जा रहा है कि जो लोग आतंकवादी समूहों में शामिल हो गए हैं, वे हथियार देकर मुख्यधारा में वापस आएं.
जम्मू और कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने मंगलवार को कहा था कि इस साल लगभग 40 युवा आतंकवादी समूहों में शामिल हो गए हैं. जबकि पहले इसका आधा ही शामिल होते थे.
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