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Saturday, 16 November, 2024
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गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- कश्मीर से कन्याकुमारी, द्वारका से बंगाल तक संस्कृति ने देश को बांधे रखा

महान स्वतंत्रता सेनानी अरविंद की 150वीं जयंती समारोह को यहां संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में चिरस्थायी योगदान दिया और उनके कार्य व विचार आज भी प्रासंगिक हैं और वह देशवासियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि संस्कृति वह साझा सूत्र है, जिसने देश को कश्मीर से कन्याकुमारी तक के नागरिकों को बांध रखा है और जिस दिन भारत को ‘भू-सांस्कृतिक’ देश के तौर पर देखना शुरू कर दिया जाएगा, उस दिन सभी समस्याओं का अपने आप निदान हो जाएगा.

महान स्वतंत्रता सेनानी अरविंद की 150वीं जयंती समारोह को यहां संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में चिरस्थायी योगदान दिया और उनके कार्य व विचार आज भी प्रासंगिक हैं और वह देशवासियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे.

उन्होंने कहा, ‘अगर भारत की आत्मा को समझना है तो श्री अरविंद को सुनना और पढ़ना होगा.’

शाह ने कहा कि दुनिया के सारे देश ‘जियो-पॉलिटिकल’ हैं लेकिन भारत एकमात्र ऐसा देश है जो ‘जियो-कल्चर’ यानी भू-सांस्कृतिक है.

उन्होंने कहा, ‘अगर भारत को जियो-कल्चर देश के नाते समझने की शुरूआत करेंगे तो आज की सभी समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा. कश्मीर से कन्याकुमारी और द्वारका से बंगाल तक कहीं ना कहीं एक ही संस्कृति हम सबको बांधे हुए है. संविधान हम सबके लिए सम्मानयोग्य है लेकिन बॉंडिंग यानि अपनापन अगर है तो वो ये संस्कृति है, जो भारत की आत्मा है.’

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि श्री अरविंद ने भारतीय संस्कृति की चिरपुरातन चेतना की नदी के प्रवाह को नई चेतना, ऊर्जा, गति और दिशा प्रदान करने का काम किया और वह भी ऐसे समय में किया जब सब ओर अंधकार था और देश अंग्रेजों का ग़ुलाम था.

उन्होंने कहा, ‘जब तक श्री अरविंद के विचारों को हम नयी पीढ़ी को नहीं सौंपते, उनके मन में इन्हें जानने की उत्सुकता पैदा नहीं करते, तब तक श्री अरविंद की 150वीं जयंती को मनाने के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो सकती.’

शाह ने कहा कि श्री अरविंद ने पॉलीटिकल एक्शन का एक सुसंगत और महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित करने का प्रयास किया था जिसे एक प्रकार से ‘‘आध्यात्मिक राष्ट्रवाद’’ भी कहा जा सकता है.

उन्होंने कहा, ‘पहली बार राष्ट्र की अवधारणा उन्होंने रखी. वंदे मातरम और श्री अरविंद की राष्ट्र की अवधारणा को देखेंगे तो इनके बीच में कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उनकी राष्ट्र की अवधारणा जियो कल्चर देश की अवधारणा के अनुरूप बनी. सिर्फ पॉलीटिकल एक्टिविटी के लिए राष्ट्र की अवधारणा नहीं थी. स्वराज एक शब्द है मगर इसका इंटरप्रिटेशन आजादी के आंदोलन के वक्त भी और बाद में भी राजनीतिक सत्ता के रूप में हो गया.’

उन्होंने कहा कि स्वराज का मतलब सिर्फ राजनीतिक सत्ता से नहीं है बल्कि इसका मतलब यह है कि देश भारत की मिट्टी की सुगंध में से निकले सिद्धांतों के आधार पर चले, भारत की संस्कृति की बनाई हुई अवधारणाओं के आधार पर चले और यहां की महान परंपराओं को आगे लेकर चले.

उन्होंने कहा, ‘‘अरविंद ने स्वराज के विचार को रखने में कोई कोताही नहीं की. उनका बड़ा स्पष्ट मानना था कि भारत में वह शक्ति है जो पूरे विश्व को दैदीप्यमान कर सकती है और सारे विश्व की दुविधाओं को दूर कर सकती है.’

नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर ध्यान से इसे देखा जाए तो इसमें हर स्थान पर श्री अरविंद के शिक्षा के विचार दिखाई देंगे.

उन्होंने कहा, ‘‘इस देश को जो लोग जानते हैं, वह सभी जानते हैं कि यही हमारा राजमार्ग और आगे बढ़ने का रास्ता है.’’

इस समारोह में शिरकत करने से पहले शाह ने स्वतंत्रता सेनानी व महाकवि सुब्रह्मण्यम भारती के संग्रहालय का दौरा किया और कहा कि वह ऐसा कर ‘‘भाग्यशाली’’ महसूस कर रहे हैं.

शाह ने ट्वीट किया, ‘सुब्रह्मण्यम भारती देशभक्ति, एकता और सामाजिक सुधारों के प्रतीक हैं. उनके देशभक्ति वाले गीतों ने असंख्य लोगों को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. उनके विचार हम सभी को प्रेरित करते रहे हैं.’

शाह विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में आए हैं.

उन्होंने भारती की तस्वीर पर पुष्पांजलि भी अर्पित की. वह अरविंद आश्रम भी गए और अरविंद तथा उनकी आध्यात्मिक सहयोगी मदर के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की.


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