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Saturday, 23 November, 2024
होमदेशअमित शाह की आलोचना करने के कारण नईम अख्तर पर लगाया गया पीएसए

अमित शाह की आलोचना करने के कारण नईम अख्तर पर लगाया गया पीएसए

पिछले साल 5 अगस्त से हिरासत में रहे वरिष्ठ पीडीपी नेता नईम अख्तर पर पिछले हफ्ते पीएसए के लगाया गया था.

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श्रीनगर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की आलोचना करना, कश्मीर में लोगों को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की आत्मकथा पढ़ने की सलाह देने और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के एक युवा को पुंछ में अपनी बीमार दादी से मिलने से रोकने के लिए पिछले साल केंद्र सरकार के एक फैसले की निंदा करने के लिए वरिष्ठ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता नईम अख्तर के खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

अख्तर, केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने की घोषणा के बाद से हिरासत में रहे हैं. उन पर पिछले हफ्ते कड़ा पीएसए कानून लगाया गया है.

डोजियर में लिखा गया है कि 9 जनवरी 2019 को उन्होंने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पश्चिम बंगाल भाषण का जिक्र किया जिसमें शाह ने हिंदू राष्ट्र के लिए एक खुला आह्वान किया था और भारत के विचार को चुनौती दी थी. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा देश में चुनावी लाभ के लिए एक खतरनाक खेल स्थापित कर रही है और चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक घृणा का कार्ड खेल रही है.

डोजियर में आगे कहा गया है कि पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद के परिवार के करीबी अख्तर, ‘कट्टरपंथी तत्वों’ की ओर हैं. यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने भारत के खिलाफ जनता को उकसाने के लिए राजनीतिक हलकों में अपने रसूख का इस्तेमाल किया.

पूर्व कैबिनेट मंत्री अख्तर जिन्हें पीडीपी में नंबर दो माना जाता है, ने बीजेपी के साथ पार्टी की गठबंधन सरकार के लिए एक प्रवक्ता के रूप में काम किया था, लेकिन बाद में अलग हो गए थे.

उमर अब्दुल्ला के खिलाफ अख्तर का भ्रष्टाचार का आरोप

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के खिलाफ पीएसए के डोजियर में उनकी पिछली गतिविधियों की तीखी आलोचना की गई है. अख्तर के बयान के खिलाफ तैयार एक आरोप जिसमें कहा गया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का शिकार हुए हैं.

अख्तर के खिलाफ पीएसए डोजियर 10 साल पहले उमर अब्दुल्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में बात करता है, तब अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री थे.

‘डोजियर में लिखा है, 2010 की अशांति के दौरान अख्तर स्वैच्छिक रूप से सरकारी सेवाओं से पर्यटन आयुक्त सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए और पीडीपी में शामिल हो गए. इस दौरान उन्होंने (अब्दुल्ला) के खिलाफ गंभीर आरोपों का इस्तेमाल किया. विशेष रूप से तत्कालीन सीएम उमर अब्दुल्ला के खिलाफ 5,000 करोड़ रुपये की पनबिजली परियोजना का आवंटन करने के मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया.

हालांकि, पीएसए डोजियर में जम्मू-कश्मीर के कई राजनेताओं के जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा उनके प्रोफाइल के गहन विवरण में एक अंतर्दृष्टि दिखती है. उनके आरोपों के कई उदाहरणों में अपराध स्पष्ट नहीं हैं. आलोचकों ने इन डोजियर की सामग्री को भी मनमाना करार दिया है.


यह भी पढ़ें : उमर अब्दुल्ला की बहन ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख, पीएसए के तहत हिरासत को दी चुनौती


अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पीएसए डोजियर पर विशेष रूप तौर पर तीखी प्रतिक्रियाओं वाला है.

जबकि डोजियर में अब्दुल्ला कट्टर विचार रखने वाले और भारत के खिलाफ गतिविधियों में शामिल, महब महबूबा को ‘गर्म मिजाज’ और कट्टर विचारों के लिए जानी जाने वाली ‘सख्त नेतृत्व वाली और योजनाबद्ध व्यक्ति’ के रूप में संदर्भित किया गया है. उनको ‘डैडी की लड़की’ और ‘कपटी’ के रूप में वर्णित किया गया है. उनकी तुलना मध्ययुगीन कश्मीर की कोटा रानी से की गई है, जो बताती है कि अपने विरोधियों को जहर देने सहित साज़िशों के बल पर सत्ता में आई थीं.

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा था: ‘जिसने भी अब्दुल्ला और मुफ्ती को हिरासत में लेने के आधार का मसौदा तैयार किया है उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा और उसे कानून के स्कूल में भेज दिया जाएगा.’

अख्तर को हिरासत में लेने के अन्य आधारों में उन्हें हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता गिलानी की आत्मकथा पढ़ने की सलाह देना शामिल है.

डोजियर में लिखा गया है कि कट्टरपंथी तत्वों के प्रति उनका झुकाव 27 सितंबर 2019 के उनके बयान से इकट्ठा किया जा सकता है जिसमें उन्होंने एक शिक्षामंत्री के रूप में लोगों को गिलानी की पुस्तक वूलर किनारे को पढ़ने की सलाह दी थी.

डोजियर में यह भी अख्तर द्वारा केंद्र सरकार के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बांदी गांव के एक युवक को पिछले साल पुंछ जिले में उसकी बीमार दादी से मिलने पर रोक लगाने के फैसले की निंदा का भी जिक्र है.

अलगाववादी नेता मीरवाइज ओमर फारूक को राष्ट्रीय जांच एजेंसी के समन की बुराई करने पर बपी अख्तर की निंदा  की गई है.

जिन नेताओं पर पीएसए लगाया गया है उनमें महासचिव अली सागर, पीडीपी नेता सरताज मदनी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के हिलाल लोन और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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