चेन्नई: तमिलनाडु की खुफिया विभाग ने एम.के. स्टालिन सरकार को विवादास्पद हिंदी फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ के खिलाफ संभावित विरोध और उससे होने वाली संभावित कानून व्यवस्था की समस्याओं के बारे में आगाह करवाया है. यह फिल्म की रिलीज होने के कुछ दिन पहले आया है. इसकी जानकारी दिप्रिंट को मिली है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, खुफिया विभाग ने फिल्म की रिलीज पर संभावित विरोध के बारे में राज्य के गृह विभाग के साथ-साथ जिला पुलिस अधीक्षकों और पुलिस आयुक्तों को सतर्क कर दिया है.
हालांकि, दिप्रिंट ने राज्य के सूचना और जनसंपर्क विभाग के जिन अधिकारियों से बात की, उन्होंने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
‘द केरला स्टोरी’, जो 5 मई को रिलीज़ होने वाली है, कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट में शामिल होने वाली केरल की महिलाओं की कहानी पर आधारित है. फिल्म एक बड़े राजनीतिक विवाद के केंद्र में रही है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन जैसे नेताओं ने इसे ‘प्रोपगेंडा स्टोरी’ बताया है.
जबकि फिल्म के ट्रेलर ने शुरू में दावा किया गया था कि यह ‘32,000 महिलाओं की दिल दहला देने वाली कहानियों’ पर आधारित है, जो कथित रूप से आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट में शामिल हो गई थीं. वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म YouTube पर ट्रेलर को बड़े पैमाने पर देखा गया. लेकिन बाद में यह दावा किया गया कि यह फिल्म ‘केरल के विभिन्न हिस्सों की तीन युवा लड़कियों की सच्ची कहानियों’ पर आधारित है.
सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सिद्धि इदनानी और सोनिया बलानी मुख्य भूमिका में हैं. केरल के साथ-साथ तमिलनाडु में विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस फिल्म का काफी विरोध किया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए नागापट्टिनम के विधायक जे. मोहम्मद शनवास उर्फ ‘आलूर’ शानावास ने कहा कि उनकी पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), राज्य में फिल्म रिलीज होने पर विरोध प्रदर्शन करेगी.
शाहनवास ने दिप्रिंट को बताया, ‘सिनेमा एक शक्तिशाली माध्यम है. इसलिए एक झूठी कहानी बनाने का विरोध किया जाएगा. यह सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित करेगा. हम लोकतांत्रिक तरीके से इसका विरोध करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक में भाजपा पहले से ही मुस्लिम समुदाय को टार्गेट कर रही है. इस तरह की फिल्मों का समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.’
वेल्लोर के पूर्व सांसद और तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अब्दुल रहमान ने दावा किया कि फिल्म जानबूझकर ‘भारतीय मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं की प्रतिष्ठा, पारंपरिक और मूल्यवान संस्कृति’ को खराब करने के उद्देश्य से बनाई गई है.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘हम ऐसी चीजों की कड़ी निंदा करते हैं.’
हालांकि, मलयालम अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता कृष्ण कुमार ने फिल्म का बचाव करते हुए कहा कि यह फिल्म एक मजबूत संदेश देती है. उन्होंने दावा किया कि केवल ‘अल्पसंख्यक तुष्टीकरण’ में शामिल राजनीतिक दल ही इसका विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘द केरला स्टोरी’ एक कहानी बताती है कि कैसे युवा महिलाओं को आईएस जैसे संगठनों द्वारा टार्गेट किया जा रहा है, जहां उन्हें परिवर्तित और कट्टरपंथी बनाया जाता है. ऐसी संवेदनशील कहानी को सामने लाने के लिए हमें फिल्म निर्माताओं का शुक्रगुजार होना चाहिए.’
दिप्रिंट फोन और व्हाट्सएप के माध्यम से फिल्म के निर्देशक, सुदीप्तो सेन और निर्माता विपुल शाह से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया. लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
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फिल्म को लेकर बवाल
फिल्म के आलोचकों ने इसके निर्माताओं पर ‘अतिशयोक्ति’ और ‘विकृतियों’ का आरोप लगाया. बीजेपी की विपक्षी पार्टियों ने इसे ‘संघ परिवार’ के एजेंडे को बढ़ावा देने वाला बताया.
हालांकि फिल्म को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) से ‘ए’ प्रमाणन प्राप्त हुआ है. लेकिन केरल की सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और विपक्षी पार्टियों ने एकजुटता के साथ फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग की है. डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) इसका नेतृत्व कर रहा है.
रविवार को, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने फिल्म को ‘फर्जी कहानी’ और ‘संघ परिवार के झूठ कारखाने का उत्पाद’ कहा. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में किए गए दावे का कोई सबूत नहीं थी.
इसी तरह की आलोचना विपक्षी पार्टी कांग्रेस की ओर से भी की गई है. तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने रविवार को सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखा. हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि वह फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए नहीं कह रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘यह आपकी केरल की कहानी हो सकती है. यह हमारी केरल की कहानी नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि मैं फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग नहीं कर रहा हूं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सिर्फ इसलिए मूल्यवान नहीं रह जाती क्योंकि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. लेकिन केरलवासियों को यह कहने का पूरा अधिकार है कि यह हमारे सच की गलत व्याख्या है.’
इस बीच, विरोध को देखते हुए फिल्म निर्माताओं ने फिल्म के ट्रेलर में एक बदलाव किया. मंगलवार को इसके बाद कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दोबारा ट्वीट किया.
उन्होंने लिखा, ‘साज़िश का पता चल रहा है. फिल्म निर्माताओं ने YouTube पर फिल्म के विवरण को अपडेट किया है और ‘32,000 महिलाओं’ को ‘3 महिलाओं’ में बदल दिया है. मैं अपना मामला शांत करता हूं.’
1 मई को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल ने किसी को भी 1 करोड़ रुपये का इनाम देने की बात कही, जो यह साबित कर सके कि केरल की 32,000 महिलाएं वास्तव में आईएस में शामिल हुई थीं. इसके जबाव में हिंदू सेवा केंद्र के संस्थापक प्रतीश विश्वनाथ ने किसी को भी 10 करोड़ रुपये के इनाम देने की पेशकश की, जो यह साबित कर सके कि केरल की कोई भी महिला आईएस में शामिल नहीं हुई थी.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस्लामिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. इसके बजाय, शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को केरल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा.
थरूर की तरह, केरल कांग्रेस यूथ विंग के उपाध्यक्ष के.एस. सबरीनाधन ने कहा कि वह फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं कर रहे थे. उन्होंने कहा कि फिल्म ‘विवादास्पद धारणा’ पर आधारित है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘केरल समाज ने कला के ऐसे पक्षपातपूर्ण कार्यों को हमेशा खारिज कर दिया है और अब जाकर एक अलग कहानी केरल का नाम लेकर चलाई जा रही है.’
(संपादन: ऋषभ राज)
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